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किसानों के हित की बात बेमानी

धान अधिप्राप्ति. 45 हजार मीट्रिक टन की खरीद का निर्धारित था लक्ष्य चालू वित्तीय वर्ष में निर्धारित लक्ष्य के अनुपात में 26 हजार एमटी धान की खरीद हुई. जिले के 167 पैक्सों द्वारा 4001 किसानों से धान की खरीद की गयी. अररिया : वित्तीय वर्ष 2016-17 में भी धान अधिप्राप्ति निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे […]

धान अधिप्राप्ति. 45 हजार मीट्रिक टन की खरीद का निर्धारित था लक्ष्य

चालू वित्तीय वर्ष में निर्धारित लक्ष्य के अनुपात में 26 हजार एमटी धान की खरीद हुई. जिले के 167 पैक्सों द्वारा 4001 किसानों से धान की खरीद की गयी.
अररिया : वित्तीय वर्ष 2016-17 में भी धान अधिप्राप्ति निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे रह गया. साढ़े चार लाख क्विंटल के निर्धारित लक्ष्य के अनुपात में इस बार जिले के 4001 किसानों से 2 लाख 61 हजार 757. 78 क्विंटल धान की खरीद ही संभव हो पायी. वित्तीय वर्ष 2014-15 को छोड़ दिया जाये, तो इसके बाद अब तक 45 हजार एमटी धान की खरीद का लक्ष्य पूरा कर पाने में सहकारिता विभाग विफल साबित हुआ है. इस वर्ष 10506 किसानों का ऑनलाइन निबंधन कराया गया बावजूद मात्र 4001 किसानों से 167 पैक्सों व व्यापार मंडल द्वारा ही धान की खरीद हो पायी है. कृषि विभाग के आंकड़ों पर अगर गौर करें,
तो इस वर्ष जिले के 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर दो लाख 96 हजार एमटी धान का उत्पादन दर्ज किया गया है. लेकिन इस बार के अधिप्राप्ति में लगभग 26 हजार एमटी ही धान की खरीद हो पाना यह स्पष्ट कर रहा है कि किसानों द्वारा शेष बचे लगभग दो लाख 70 हजार एमटी धान को औने-पौने दामों में खुले बाजार में बेचा गया है. जहां न तो उन्हें अपने उत्पादित धानों का सही मूल्य ही प्राप्त हो पाया है न ही उनके अपने उत्पादन का सही लागत ही मिल पाया है. ऐसे परिस्थिति में किसानों के हित की बात कही जानी बेमानी साबित होगी.
एसएफसी को िमला 1,75,377 क्विंटल सीएमआर
सहकारिता विभाग व राज्य खाद्या निगम के गोदामों की पड़ताल के क्रम में यह बात सामने आयी है कि सहकारिता विभाग के अंग पैक्स व व्यापार मंडल द्वारा किसानों से खरीद किये गये धान के एवज में सीएमआर की आपूर्ति निर्धारित अवधि 31 जुलाई 2017 तक कर दी गयी है. बताया गया कि खरीद किये गये 2,61757.78 क्विंटल धान के एवज में एसएफसी के सीएमआर गोदामों तक 31 जुलाई के रात तक निर्धारित 175377.68 क्विंटल सीएमआर प्राप्त हो गया है. इससे यह स्पष्ट होता है कि अब किसी भी पैक्स अथवा व्यापार मंडल के पास किसानों से खरीद किया गया धान नहीं बच रहा है.
धान खरीद सहकारिता विभाग का काम है
किसानों से धान के खरीद का काम सहकारिता विभाग का है. उन्हें धान के एवज में सीएमआर चावल दिया गया है. चावल प्राप्त होने के बाद सरकार द्वारा निर्धारित दर का भुगतान पैक्स अध्यक्षों को आरटीजीएस के माध्यम से किया गया है.
बिरेंद्र नाथ गुप्ता, डीएम, एसएफसी

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