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बिहार में बाहुबलियों के आएंगे अच्छे दिन? आनंद मोहन के बाद अब इन दो बाहुबली की रिहाई की उठी मांग

आनंद मोहन की रिहाई के बाद बिहार में अब दो और बाहुबली नेताओं की रिहाई की मांग उठने लगी है. सवर्ण क्रांति दल के प्रमुख कृष्ण कुमार कल्लू ने अनंत सिंह और प्रभुनाथ सिंह की जेल से रिहाई की मुहिम शुरू की है. उन्होंने कहा है कि दोनों नेताओं की रिहाई के लिए वो किसी भी हद तक जाएंगे.

बाहुबली आनंद मोहन की स्थायी रिहाई के लिये नीतीश कैबिनेट ने बिहार जेल कानून में 10 अप्रैल को संशोधन किया था. जिसके बाद आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को पिछले सप्ताह जेल से रिहा कर दिया गया था. जिसके बाद से बिहार की सियासत गरमाई हुई है. एक तरफ जहां नीतीश सरकार के इस फैसले की आलोचना हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ कई लोग इस फैसले के समर्थन में भी हैं. इसी बीच अब बिहार के दो और बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह और अनंत सिंह की रिहाई की भी मांग उठने लगी है.

प्रभुनाथ सिंह की रिहाई की भी उठी मांग

राजद के टिकट से चार बार सांसद चुने जा चुके प्रभुनाथ सिंह अभी हजारीबाग के जेल में बंद हैं. जनता दल के विधायक अशोक सिंह की 1995 में हत्या हो गयी थी. 2017 मैं इसी मामले में उन्हें दोषी पाया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी. तब से वो जेल में बंद हैं. प्रभुनाथ सिंह की रिहाई के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री रूडी ने सरकार से मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार को षड्यंत्र के तहत फंसाया गया जाति विशेष लोगों को रिहाई के लिए पहल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रभुनाथ सिंह को भी सरकार द्वारा रिहा करना चाहिए, प्रभुनाथ सिंह भी दो बार विधायक और चार बार सांसद रहे और आज भी उनकी लोकप्रियता बनी हुई है.

अनंत सिंह के रिहाई की उठी मांग

उधर मोकामा से चार बार के विधायक अनंत सिंह की रिहाई की भी मांग उठने लगी है. अनंत सिंह के घर से 2019 में एक AK-47 राइफल बरामद हुई थी. इस मामले में कोर्ट ने उन्हें 2022 में दोषी पाया और 10 साल की सजा सुनाई. फिलहाल अनंत सिंह पटना के बेउर जेल में बंद हैं. अनंत सिंह को जिस वक्त कोर्ट ने दोषी पाया था वो राजद से विधायक थे. लेकिन दोषी करार दिए जाने की वजह से उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द ओ गयी थी. अब सवर्ण क्रांति दल के प्रमुख कृष्ण कुमार कल्लू ने अनंत सिंह और प्रभुनाथ सिंह की जेल से रिहाई की मुहिम शुरू की है. उन्होंने कहा है कि दोनों नेताओं की रिहाई के लिए वो किसी भी हद तक जाएंगे.

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बिहार सरकार ने नियमों में किया बदलाव

75 वर्षीय आनंद मोहन तीन अक्तूबर 2007 से जेल में बंद थे. नियमों की वजह से आनंद मोहन की रिहाई संभव नहीं थी. जिसके बाद नीतीश कैबिनेट ने आनंद मोहन की स्थायी रिहाई के लिये 10 अप्रैल को बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम 481, 1 ‘क’ में संशोधन करते हुए उस वाक्यांश को हटाने का निर्णय लिया था. इसके तहत सरकारी सेवक की हत्या को अपवाद के तौर पर पहले शामिल किया गया था.

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