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सुषमा स्वराज ने किया नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन

पटना : पूरे विश्व के छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का विदेश मामलों की मंत्री सुषमा स्वराज आज नेेे आज विधिवत उद्घाटन किया.उद्घाटन में उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय नहीं परंपराओं का एक स्वरुप है जो कभी मरती नहीं, परिस्थितिवश कभी-कभी विलुप्त हो जाती हैं. साथ ही कहा कि परंपराओं […]

पटना : पूरे विश्व के छात्रों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का विदेश मामलों की मंत्री सुषमा स्वराज आज नेेे आज विधिवत उद्घाटन किया.उद्घाटन में उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय नहीं परंपराओं का एक स्वरुप है जो कभी मरती नहीं, परिस्थितिवश कभी-कभी विलुप्त हो जाती हैं.
साथ ही कहा कि परंपराओं में आस्था रखने वाले लोग एक दिन इनकी शुरुआत दोबारा जरुर करते हैं.
गुप्त काल में छठीं शताब्दी में शुरू हुए प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को 1193 ईस्वी में तुर्की शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के सिपहसालार बख्तियार खिलजी ने ध्वस्त कर दिया था.
इसके अवशेष से 12 किलोमीटर की दूरी पर इस विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य गत एक सितंबर से ही शुरु हो गया था. राजगीर स्थित कंवेंशन सेंटर में आज नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन करते हुए सुषमा ने कहा कि वह यहां आकर अभिभूत हैं और आज का दिन उनके लिए बहुत ही गौरव का दिन है.
उन्होंने कहा कि पूर्व की भांति यह विश्वविद्यालय ज्ञान के माध्यम से भारत को पूरी दुनिया से जोडने के लिए सेतु और नींव के रुप में काम करेगा. सुषमा ने कहा कि यहां आने के दौरान एक पत्रकार के यह कहने पर कि वह पुराने नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने जा रही हैं हमने इंकार करते हुए कहा कि पुनर्जीवित तो उसे किया जाता है जो मर चुका हो.
सुषमा ने कहा कि अब्दुल कलाम ने 2006 में कहा था कि हमें नालंदा विश्वविद्यालय की पुनस्र्थापना करनी चाहिए और संयोग देखिए उसी वर्ष के मध्यकाल में सिंगापुर के तत्कालीन विदेश मंत्री जार्ज जियो ने एक प्रस्ताव रखा जिसका नाम ‘नालंदा प्रपोजल’ था.
कलाम के सुझाव और सिंगापुर सरकार के नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने के प्रस्ताव के बाद कई देशों ने आर्थिक मदद के लिए हाथ बढाए. नालंदा विश्वविद्यलय के लिए चीन ने दस लाख डालर, सिंगापुर ने 50 लाख डालर, थाईलैंड ने एक लाख डालर और अस्ट्रेलिया ने दस लाख आस्ट्रेलियन डॉलर का अंशदान किया है.
फिर से शुरु हुए नालंदा विश्वविद्यालय में वर्तमान में दो विषयों स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंटल स्टडीज तथा स्कूल ऑफ हिस्टॉरिकल स्टडीज की शिक्षा दी जा रही है पर वर्ष 2020 में उसका निर्माण कार्य पूरा होने के बाद छात्र वहां से सात विषयों में स्नातक और डॉक्टरेट की उपाधि हासिल कर पाएंगे.
नालंदा विश्वविद्यालय में इन दोनों विषयों में वर्तमान में 15 छात्र अध्ययन कर रहे हैं और वहां 11 शिक्षक हैं. नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति गोपा सभरवाल ने बताया कि वर्तमान में उनके विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों में एक-एक जापान और भूटान के छात्र शामिल हैं तथा आने वाले समय में और भी छात्र यहां से जुडेंगे.
Prabhat Khabar Digital Desk
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