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बोले नीतीश,सद्भाव की धारा की जीत, उन्माद की धारा की हार

पटना: बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता के सेमी फाइनल में मिली जीत पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने इस जीत पर जनता को धन्यवाद दिया है. राजद-जदयू महागंठबंधन को मिली छह सीट का श्रेय उन्होंने जनता को दिया है. जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा के […]

पटना: बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता के सेमी फाइनल में मिली जीत पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने इस जीत पर जनता को धन्यवाद दिया है. राजद-जदयू महागंठबंधन को मिली छह सीट का श्रेय उन्होंने जनता को दिया है.

जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा के दस सीटों के उपचुनाव के परिणाम पर संतोष व्यक्त करते आज कहा कि इसमें सदभाव की धारा की जीत और उन्माद की धारा की हार हुई है तथा इसके संदेश एवं संकेत स्पष्ट हैं.पटना के सात सकुर्लर रोड स्थित अपने आवास पर आज पत्रकारों को संबोधित करते हुए नीतीश ने उपचुनाव के परिणाम पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इस उपचुनाव में बिहार की जनता ने जिस तरह से अपना स्पष्ट मत प्रकट किया है उसके लिए वे सभी मतदाताओं को धन्यवाद देने के साथ उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं और इसमें विजयी हुए प्रत्याशियों को बधायी देते हैं.

नीतीश ने कहा कि बिहार विधानसभा की जिन दस सीटों के लिए जो उपचुनाव हुए वह कितना महत्वपूर्ण और अहमियत वाला था इसका अंदाजा बिहार और प्रदेश के बाहर भी लोगों के बीच पायी जा रही उत्सुकता से लगाया जा सकता है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा सहित उसके घटक दलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस उपचुनाव के नतीजों से एक बात स्पष्ट है कि जनता अब उन्माद की राजनीति के झांसे में आने वाली नहीं है.उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव को संपन्न हुए कुछ ही समय बीतने के बाद हुए इस उपचुनाव के नतीजे यह साफ संकेत दे रहे हैं कि बिहार के लोग विभाजनकारी राजनीति को स्वीकार नहीं करेंगे.

नीतीश कुमार ने अभी और प्रयत्न करने की जरुरत पर बल देते हुए कहा कि लेकिन इतना जरुर है कि बिहार की जनता ने अपना रुझान स्पष्ट कर दिया है कि वे समरसता और समाज में सदभाव चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि बिहार हमेशा से सदभाव का प्रांत रहा है और हमारी राजनीति समाज के सभी तबकों को साथ लेकर चलने और सभी धर्म को मानने वालों का आदर करने की रही है.उपचुनाव के नतीजों में सदभाव की धारा की जीत एवं उन्माद की धारा की हार हुई है. इसके संदेश एवं संकेत स्पष्ट हैं तथा आगे और बहुत कुछ करना होगा.

नीतीश ने कहा, यदि सीटों के संबंध में निर्णय और बेहतर तरीके से किया गया होता तो उनकी समझ से परिणाम और अच्छे हो सकते थे.उन्होंने कहा कि बिहार में जो प्रयोग किया गया वह कारगर रहा और यह पहली स्टेज है तथा वह समझते हैं कि इसके आगे और भी बेहतर होगा.

नीतीश ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जिन कारणों से भी जनता का मन बना हो पर केंद्र सरकार के काम को वे देख रहे हैं और उसकी चर्चा भी हो रही है.

उन्होंने कहा, भाजपा बिहार में उंची जाति के लोगों को अपना वोट बैंक मान रही थी लेकिन इस उपचुनाव के नतीजे ने समाज के सभी तबकों की एकता को साबित कर दिया है. इसका उदाहरण परबत्ता, जाले, भागलपुर और छपरा हैं जहां से जदयू-राजद-कांग्रेस उम्मीदवार आगे रहे हैं.

नीतीश ने कहा कि इस उपचुनाव के जरिए बिहर की जनता ने स्पष्ट कर दिया है कि यहां जातीय बंधन और जातीय वोट बैंक नाम की कोई चीज नहीं है. लोग अपने विवेक से उचित निर्णय लेते हैं जिसे वे सलाम करते हैं. जरुरत इसी मिजाज की है जिसे हमलोग आगे बढाएंगे.

उन्होंने कहा कि समता पार्टी के निर्माण से लेकर आज तक मैंने बिहार के लिए कभी जंगलराज का उपयोग नहीं किया. मैंने आतंकराज शब्द का उपयोग किया था. जंगल राज का उपयोग कोर्ट ने और बीजेपी वालों ने किया है. नीतीश भाजपा द्वारा खुद को निशाना बनाये जाने से काफी दुखी हैं.

गौरतलब है कि सोशल नेटवर्किंग साइट पर सुशील मोदी ने लालू और नीतीश के साथ जाने पर चुटकी ली थी. उन्होंने जंगलराज-1 और जंगलराज-2 कहकर दोनों की खिंचाई की है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा बिहार की जनता समाज में सद्भाव चाहती है. जनता ने बांटने वाली राजनीति को नाकार दिया है. अब जनता झांसे में आने वाली नहीं है.

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