पटना: पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवार को समर्थन दिये जाने के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद को धन्यवाद दिया है. उन्होंने कहा कि राज्यसभा उपचुनाव में भाजपा बेनकाब हुई है.
लालू प्रसाद के समर्थन की घोषणा के तत्काल बाद अपने नये आवास 02, एम स्ट्रैंड रोड पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हमने तीन दिन पहले भाजपा की साजिश को देखते हुए राजद से समर्थन मांगा था. राजद ने समर्थन देने का निर्णय लिया है, जिसका हम स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाकपा के विधायकों ने भी समर्थन देने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने यहां अस्थिरता का माहौल पैदा कर दिया था. मांझी सरकार को अस्थिर करने की साजिश थी. राजद पहले से मांझी सरकार को अपना समर्थन दे रहा है. हमने अनुरोध किया था कि राज्यसभा उपचुनाव में भी यह समर्थन जारी रहना चाहिए. राज्यसभा के इस सहज चुनाव को भाजपा ने असहज बनाने की कोशिश की है. बिहार के इतिहास में पहली बार खुलेआम जोड़-तोड़ की साजिश चली है. मुङो खुशी है कि राजद ने जदयू के दोनों उम्मीदवारों को समर्थन देने का निर्णय लिया है.
कोई नंबर मांग रहा, कोई सूची : उन्होंने कहा कि भाजपा जिस प्रकार बेसब्री दिखा रही थी, इससे उनकीउम्मीदों पर पानी फिर गया है. अब वह मुंह छिपाते नजर आ रहे हैं. भाजपा अब नामों की सूची मांग रही है. बिना किसी का नाम लिये उन्होंने कहा कि अब कोई नंबर मांग रहा, तो कोई सूची मांग रहा है. भाजपा को पूरी तरह झटका लगा है. यह पूछे जाने पर कि लालू प्रसाद ने भाजपा के नेता का नाम लिया है, नीतीश कुमार ने कहा कि हम नाम नहीं लेते हैं. लालू जी का कहने का अपना स्टाइल है. भाजपा ने बिहार में लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की है. आज तक यह धंधा बिहार में नहीं होता था. बहुत ही गलत परंपरा की शुरुआत हुई है. जिस तरह एकजुट होकर लोग मतदान करेंगे, उससे जदयू के दोनों उम्मीदवार चुनाव जीतेंगे. राजद के साथ आगे भी गंठबंधन के सवाल पर जदयू नेता ने कहा कि इस संबंध में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. अभी भाजपा की साजिशों को बेनकाब करने के लिए राज्यसभा की बात है.
बागियों से कहा, भाजपा के हाथ में नहीं खेलें : पार्टी के बागी विधायकों से पूर्व मुख्यमंत्री ने अपील की कि वे अब भी पार्टी में लौट सकते हैं. जो खेल चल रहा है, उसे उन्हें समझ लेना चाहिए. बागी विधायकों के लिए उन्होंने जुमले का प्रयोग किया. कहा,मैं समझता हूं कि सुबह का भूला शाम को घर आ जाये, तो वह भूला नहीं कहा जाता. पार्टी मां के समान होती है और मां से दगा नहीं किया जाता. कितने दिनों तक भागते रहेंगे. नाराज लोगों से भी बात हुई है. बहुत लोग मान गये हैं. राजनीति में नाराजगी होती है, तो उसे सुना भी जाता है. किसी प्रकार के बहकावे में नहीं आएं और पार्टी की ओर लौट आएं.