पटना. राज्यसभा उपचुनाव की चाबी राजद के हाथ में दिख रही है. जदयू की रणनीति, बागियों के तेवर और भाजपा की खामोशी के बीच लालू प्रसाद का फैसला सबसे महत्वपूर्ण बन गया है.
117 विधायकों वाला जदयू और 84 विधायकों वाली भाजपा दोनों का गणित 21 सीटों वाला राजद ही हल करता दिख रहा है. आम तौर पर अपनी बात सीधी कहनेवाले लालू प्रसाद भी इस बार कुछ नहीं कह रहे हैं. पहले दिन उन्होंने विधायकों को अपनी मरजी से वोट करने की छूट देने की बात कही. एक दिन बाद उन्होंने कहा कि विधायक किसे वोट करेंगे, यह मैं तय करूंगा. राज्यसभा की तीन सीटों के लिए हो रहे इस उपचुनाव में कुल छह उम्मीदवार अभी मैदान में हैं, जिनमें से शरद यादव लगभग निर्विरोध चुन लिये गये हैं. बाकी दो सीटों के लिए मतदान होना है. संकेत दोनों ही तरह के मिल रहे हैं. एक यह कि सांप्रदायिक ताकतों के विरोध के चलते राजद इस चुनाव में जदयू का साथ दे दे. दूसरा विकल्प मतदान प्रक्रिया से खुद अलग रखने का भी हो सकता है. भाजपा के साथ जाने की संभावना न के बराबर जतायी रही है.
राजद यह तीन विकल्प अपना सकता है.
पहला विकल्प : जदयू का साथ दे
असर : शरद के अलावा जदयू के दोनों अधिकृत उम्मीदवार पवन कुमार वर्मा व मौलाना गुलाम रसूल बलियावी भारी मतों से जीत जायेंगे. 13 बागियों के वोट विरोध में जाने के बावजूद जदयू के 104- (13 बागी विधायक हटा कर) दो निर्दलीय, राजद के 21 और कांग्रेस के चार व भाकपा के एक विधायकों को मिला कर जदयू उम्मीदवार को 132 वोट मिल जायेंगे, जबकि जीत के लिए सिर्फ 117 वोट की जरूरत है.
दूसरा विकल्प : मतदान से अलग
असर : ऐसी स्थिति में मतों की गिनती कुल पड़े वोटों के आधार पर होगी. सदन की मौजूदा संख्या 232 है. राजद के विधायकों के अलग होने से कुल वोटों की संख्या हो जायेगी 211. तब जीत के लिए सिर्फ 106 वोटों की जरूरत पड़ेगी. ऐसी स्थिति में जदयू के उम्मीदवारों के पक्ष में 104 (13 बागी विधायकों को अलग कर), दो निर्दलीय, कांग्रेस के चार और भाकपा के एक विधायकों के वोट जोड़ कर कुल वोट पड़ेंगे 111, जो जीत के लिए आवश्यक 106 से पांच अधिक हैं.
तीसरा विकल्प : भाजपा के साथ वोट
असर: सांप्रदायिक ताकतों के विरोधी रहे लालू प्रसाद का भाजपा के साथ वोट करना लगभग नामुमकिन है. फिर भी यदि ऐसी स्थिति बनी, तो जदयू उम्मीदवारों की जीत मुश्किल हो जायेगी. ऐसी स्थिति में ंभाजपा के 84, तीन निर्दलीय, राजद के 21 और 13 बागी विधायकों के वोट शामिल कर निर्दलीय उम्मीदवारों को कुल 121 वोट मिल जायेंगे, जो जीत के लिए आवश्यक 117 से चार अधिक होगा. ऐसी स्थिति में जदयू उम्मीदवारों को 111 वोट ही मिल पायेंगे.