श्रीनगर: हिज्बुल मुजाहिदीन के कश्मीर कमांडर जाकिर मूसा का नया ऑडिया टेप शनिवार को जारी किया गया है. इस टेप में जाकिर मूसा यह कहता दिख रहा है कि अगर हिज्बुल मुझे सदस्य नहीं मानता, तो मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं है. मूसा ने कहा कि मैं अपने बयान पर कायम हूं. मूसा ने हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम लेते हुए कहा कि मैंने अपने पिछले ऑडियो में उन लोगों को लटकाने के बारे में कहा था जो सेक्यूलर स्टेट की बात करते हैं. गौरतलब है, हिज्बुल मुजाहिदीन जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए 1989 से आतंकी गतिविधियों में सक्रिय है.
मूसा ने अपने दूसरे ऑडियो में कहा कि हमारी नीयत यह होनी चाहिए कि हमें आजादी सिर्फ इसलाम के लिए लेनी चाहिए. मेरा खून सेक्यूलर स्टेट की आजादी के लिए नहीं बहेगा. हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने कहा है कि हम जाकिर मूसा के बयान के साथ नहीं है. इस पर मूसा ने कहा कि मुझे फर्क नहीं पड़ता है कि कोई मेरे साथ हो या न हो. आज के बाद मेरा हिज्बुल मुजाहिद्दीन से कोई वास्ता नहीं है. मैं ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं कर सकता जो गद्दों पर बैठकर फतवे जारी करते हैं.
मूसा के बयान से हिज्बुल ने पल्ला झाड़ा
इससेपहले हिज्बुल मुजाहिदीन ने अलगाववादी नेतृत्व के खिलाफ अपने कमांडर जाकिर मूसा के बयान से खुद को अलग कर लियाथा जिससे आतंकी संगठन में मतभेद का संकेत मिलता है. हिज्बुल मुजाहिदीन के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने पाकिस्तान के कब्जेवाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद से एक बयान में कहा, ‘मूसा के बयान से संगठन का कोई लेना-देना नहीं है और न ही यह इसे स्वीकार्य है.’ मूसा के ऑडियो बयान को ‘निजी मत’ करार देते हुए हाशमी ने आगाह किया कि भ्रम पैदा करनेवाला कोई भी बयान या कदम ‘संघर्ष के लिए ताबूत में अंतिम कील साबित हो सकता है.’ पांच मिनट 40 सेकंड का मूसा का यह ऑडियो बयान सोशल मीडिया पर सामने आया. इसमें वह अलगाववादी नेताओं को धमकी देता है कि वे सीरिया और इराक में आइएसआइएस द्वारा स्थापित व्यवस्था के अनुरूप जम्मू कश्मीर में खलीफा स्थापित करने के उनके उद्देश्य में दखल न दें. हाशमी ने कहा कि संगठन मूसा के बयान पर विचार कर रहा है और जारी संघर्ष के हित में ‘कोई कदम उठाने या बलिदान देने से नहीं हिचकिचाएगा.’
पुलिस महानिदेशक एसपी वैद ने कहा कि पुलिस ने आवाज का विश्लेषण कराया और पाया कि ऑडियो में आवाज मूसा की है. इस क्लिप को कश्मीर में जारी आतंकवाद में एक चिंताजनक मोड़ आने के रूप में देखा जा रहा है जो अब तक इसलाम या जिहाद की जगह व्यापक रूप से तथाकथित आजादी या राज्य को पाकिस्तान में मिलाने तक सीमित रहा है. क्लिप ऐसे समय सामने आयी है जब हुर्रियत नेताओं ने घाटी में आइएसआइएस की विचारधारा के प्रभाव को हाल में कमतर करना चाहा.
इस सप्ताह के शुरू में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासीन मलिक जैसे हुर्रियत नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि कश्मीर संघर्ष का आइएसआइएस, अलकायदा तथा ऐसे अन्य संगठनों से कोई लेना-देना नहीं है. हाशमी ने कहा, ‘समूचे नेतृत्व’ ने पिछले साल जुलाई में हिज्बुल मुजाहिदीन के बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सभी मोरचों पर एकता प्रदर्शित की तथा ‘आजादी और इसलाम के लिए’ जारी ‘संघर्ष’ को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं. उसने कहा, ‘ऐसी स्थिति में, भ्रम पैदा करनेवाला कोई बयान या कदम संघर्ष के लिए ताबूत में अंतिम कील साबित होगा.