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SC के फैसले के बाद भारतीय तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष बीवीपी राव ने इस्तीफा दिया

कोलकाता/नयी दिल्ली : भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) के अध्यक्ष बीवीपी राव ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उच्चतम न्यायालय के दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक एसवाई कुरैशी के एएआई के संशोधित संविधान को रद्द करने के बाद यह कदम उठाया. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने बुधवार […]

कोलकाता/नयी दिल्ली : भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) के अध्यक्ष बीवीपी राव ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उच्चतम न्यायालय के दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक एसवाई कुरैशी के एएआई के संशोधित संविधान को रद्द करने के बाद यह कदम उठाया.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने बुधवार को आदेश दिया कि चार हफ्ते के भीतर भारतीय तीरंदाजी संघ के नए चुनाव कराए जाएं. राव ने कहा, मैं भारतीय खेल सिस्टम के खिलाफ विरोध स्वरूप तुरंत प्रभाव से इस्तीफा देता हूं जो सक्षम लोगों को आगे नहीं आने देता. अगर ऐसे लोग आते हैं तो यह (खेल सिस्टम) उनके काम के बाधा पैदा करता है.

इस नवीनतम फैसले का मतलब है कि 10 जून से होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय तीरंदाजों के साथ नया प्रशासनिक ढांचा होगा. राव की अगुआई वाली एएआई को भारतीय ओलंपिक संघ मान्यता नहीं देता और उसने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया. आईओए ने बयान में कहा, यह आईओए और एएआई की जीत है.

माननीय उच्चतम न्यायालय ने आज कुरैशी द्वारा तैयार संविधान को रद्द कर दिया. आईओए और खेल मंत्रालय दोनों ने इस संविधान और इसके अनुसार हुए चुनावों को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी. इसमें कहा गया, आईओए पूरी तरह से पारदर्शिता के पक्ष में है, लेकिन संघ की स्वायत्तता का बचाव किया जाना चाहिए.

कुरैशी के मार्गदर्शन में हुए चुनाव में 22 दिसंबर 2018 को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राव को एएआई अध्यक्ष चुना गया जिससे विजय कुमार मल्होत्रा के युग का अंत हुआ जो 1973 से 2012 तक राष्ट्रीय संस्था के प्रमुख रहे. इसके बाद खेल संहिता का पालन नहीं करने के लिए खेल मंत्रालय ने एएआई की मान्यता रद्द कर दी थी.

खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ ने एएआई के चुनावों को अब तक मान्यता नहीं दी थी. कुरैशी ने उच्च न्यायालय को जो संशोधित संविधान सौंपा था उसके कुछ नियमों पर इन दोनों को आपत्ति थी. इनकी आपत्ति थी कि संशोधित संविधान आंशिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता 2011 के अनुरूप नहीं है. खेल मंत्रालय ने अपनी वार्षिक मान्यता प्रणाली के तहत भी एएआई को मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय महासंघों में जगह नहीं दी थी.

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