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1978 एशियन गेम्स : तनाव भरे माहौल में भारत हॉकी फाइनल में पाक से हारा

1978 के एशियन गेम्स की मेजबानी बैंकाक को मिली थी. हालांकि पहले सिंगापुर के पास थी, लेकिन पैसे की कमी बता आयोजन से इन्कार कर दिया. पाक ने आयोजन की इच्छा जतायी, पर भारत के कड़े विरोध के बाद मेजबानी नहीं मिली. बांग्लादेश के चलते भारत व पाक में तनाव था. ऐसे में फिर से […]

1978 के एशियन गेम्स की मेजबानी बैंकाक को मिली थी. हालांकि पहले सिंगापुर के पास थी, लेकिन पैसे की कमी बता आयोजन से इन्कार कर दिया. पाक ने आयोजन की इच्छा जतायी, पर भारत के कड़े विरोध के बाद मेजबानी नहीं मिली. बांग्लादेश के चलते भारत व पाक में तनाव था. ऐसे में फिर से बैंकाक ने इसके आयोजन की जिम्मेदारी निभायी. पिछले बार की तरह भारत का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा, लेकिन टीम 11 गोल्ड, 11 सिल्वर और 6 कांस्य पदक जीतने में सफल रही. हरीचंद ने 5000 मीटर और 10 हजार मीटर में गोल्ड मेडल जीते, तो रामास्वामी गनाशेखरन ने 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया.100 मीटर में चांदी जीतने में सफल रहे.

निशानेबाजी में रणधीर ट्रैप में गोल्ड जीतने में सफल रहे. कुश्ती में करतार सिंह और शूटिंग में राजिंदर सिंह ने गोल्ड मेडल जीता. लंबी कूद में सुरेश बाबू और शॉटपुट में बहादुर सिंह ने स्वर्ण पदक जीता. स्टार धावक श्रीराम ने 800 मीटर की रेस में लगातार दूसरी बार एशियन गेम्स में गोल्ड जीता. वहीं महिला वर्ग में गीता जुत्शी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 800 मीटर रेस में गोल्ड और 1500 मीटर में सिल्वर मेडल जीता. महिला का इतने बड़े स्तर पर पदक जीतना भारत के लिए शुभ संकेत थे. भारत के लिए सबसे बड़ी निराशा रही हॉकी टीम का प्रदर्शन, इस बार वह फाइनल तक का भी सफर तय नहीं कर पायी. पाकिस्तान ने फिर गोल्ड जीता, वहीं तेहरान इस बार सिल्वर जीतने में सफल रहा. कुल मिलाकर भारत के लिए ये टूर्नामेंट अच्छा रहा.

नौकरी छोड़ स्क्वॉश खिलाड़ी बने रमित को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद
आगामी एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रहे स्क्वॉश खिलाड़ी रमित टंडन ने पिछले साल अमेरिका में वित्तीय विश्लेषक का काम छोड़ इस खेल को गंभीरता से लेने का मन बनाया, जिसके सकारात्मक नतीजे उन्हें मिल रहे हैं. नौकरी छोड़ने का जोखिम लेने वाले 25 साल के रमित पेशेवर स्क्वॉश महासंघ रैंकिग में 400 स्थान की सुधार के साथ नवीनतम विश्व रैंकिंग में कैरियर के सर्वश्रेष्ठ 62वें स्थान पर पहुंच गये है। टंडन ने कहा कि भारत के लिए खेलने का सम्मान सबसे बड़ी चीज है इसलिए 12 महीने पहले उन्होंने नौकरी छोड़ने का जो फैसला किया, उस पर कोई पछतावा नहीं है. उन्हें हालांकि, महीने के अंत में वेतन नहीं आने का दुख होता है. कोलकाता के इस खिलाड़ी ने पीटीआई से कहा कि हां मुझे नौकरी की स्थिरता याद आती है, लेकिन यह एक फैसला था जिसमें मुझे स्क्वॉश को पूर्णकालिक तौर पर खेलना था और भारत का प्रतिनिधित्व करना था। यह आपके देश का प्रतिनिधित्व करने का सबसे बड़ा सम्मान है. यह अभी भी शुरुआती दिनों में है, लेकिन अब तक का सफर बहुत अच्छा रहा है. पिछले साल सितंबर तक टंडन कुछ एक पीएसए स्पर्धाओं में ही खेल पाते थे. स्थाई नौकरी के कारण वह खेल को जरूरी समय नहीं दे पा रहे थे. टंडन की किस्मत अच्छी थी कि उनके नियोक्ता ने उन्हें समर्थन करने का फैसला किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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