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कश्मीर को फुटबॉल के लिये स्वर्ग बनाना चाहते हैं संदीप चट्टू

नयी दिल्ली : उन्हें केवल प्रतिद्वंद्वी को ही नहीं छकाना पड़ा बल्कि आईलीग में जगह बनाने वाली जम्मू कश्मीर की पहली फुटबॉल टीम बनने के लिये मैदान से बाहर की कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन एफसी रीयाल कश्मीर एफसी के सह मालिक संदीप चट्टू ने कहा कि उनकी टीम का मिशन अब […]

नयी दिल्ली : उन्हें केवल प्रतिद्वंद्वी को ही नहीं छकाना पड़ा बल्कि आईलीग में जगह बनाने वाली जम्मू कश्मीर की पहली फुटबॉल टीम बनने के लिये मैदान से बाहर की कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा लेकिन एफसी रीयाल कश्मीर एफसी के सह मालिक संदीप चट्टू ने कहा कि उनकी टीम का मिशन अब ‘धरती के स्वर्ग’ को इस खूबसूरत खेल के लिये स्वर्ग बनाना है.

श्रीनगर स्थित इस टीम ने बेंगलुरु में दिल्ली के हिन्दुस्तान एफसी को 3-2 से हराकर सेकेंड डिवीजन लीग जीती. इससे वह आईलीग में शीर्ष स्तर पर जगह बनाने वाली कश्मीर घाटी की पहली टीम बन गयी. इस दो साल पुराने क्लब को स्काटलैंड के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और ग्लास्गो रेंजर्स के दिग्गज डेविड राबर्टसन कोचिंग दे रहे हैं. उसकी यह उपलब्धि उल्लेखनीय है क्योंकि राज्य में फुटबॉल का आधारभूत ढांचा सर्वश्रेष्ठ नहीं है.

रीयाल कश्मीर की टीम अब सितंबर में आई लीग 2018-19 में हिस्सा लेगी तथा मोहन बागान और ईस्ट बंगाल जैसी शीर्ष टीमों का सामना करेगी. इन टीमों को भी श्रीनगर खेलने के लिये जाना पड़ सकता है. चट्टू अपने व्यावसायिक सहयोगी शमीम मेराज के साथ इस क्लब के सहमालिक हैं. इस क्लब की ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद चट्टू ने कहा, ‘यह देखते हुए कि कश्मीर में फुटबॉल का बुनियादी ढांचा नहीं है, यह क्लब के लिये बड़ी उपलब्धि है कि वह इस मुकाम पर पहुंचा है. लेकिन यह केवल शुरुआत है.उन्होंने कहा, ‘हम पूरे परिदृश्य को बदलना चाहते है. हम कश्मीर में फुटबॉल क्रांति लाना चाहते हैं. हमने रास्ता खोल दिया है. हम धरती के इस स्वर्ग को फुटबॉल के लिये स्वर्ग बनाना चाहते हैं.

उन्हें उम्मीद है कि टीम की इस सफलता से कथित पत्थरबाज भी खेलों के जरिये मुख्यधारा से जुड़ने के लिये प्रेरित होंगे. चट्टू ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि युवा पत्थर फेंकने के बजाय फुटबॉल को अपनाएं. हम उन्हें फुटबॉल और खेल गतिविधियों में शामिल करना चाहते हैं जहां उनकी ऊर्जा का सही इस्तेमाल होगा.बेंगलुरु में अंतिम दौर के सभी मैचों में खेलने वाले डिफेंडर और उप कप्तान मोहम्मद हम्माद ने इस पर सहमति जतायी और कहा कि इस उपलब्धि से कश्मीर के युवा फुटबॉल को अपनाने के लिये प्रेरित होंगे.

श्रीनगर में बी.काम द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी 22 वर्षीय हम्माद ने कहा, ‘हमारे क्लब का आईलीग के लिये क्वालीफाई करने से उन्हें प्रेरणा मिलनी चाहिए. मोहन बागान और ईस्ट बंगाल जैसे क्लब श्रीनगर में खेलने के लिये आएंगे और उम्मीद है कि इससे वह अपनी ऊर्जा खेल को करियर बनाने में लगाएंगे.

लेकिन शीर्ष लीग तक पहुंचने की यह यात्रा आसान नहीं रही. हम्माद ने बताया कि किस तरह से राज्य की अस्थिर सुरक्षा स्थिति ने टीम की दिनचर्या को प्रभावित किया. उन्होंने कहा, ‘जब हम अभ्यास के लिये जाते थे और अगले दिन बंद या हड़ताल होने की संभावना को देखते हुए सुरक्षित रहने के लिये अपने मालिक के होटल में रुकते थे कि अगले दिन अभ्यास करेंगे.

लेकिन हमें इसकी आदत है और हमने फुटबॉल पर ध्यान केंद्रित रखा. चट्टू ने कहा कि घाटी में लोग फुटबॉल को पसंद करते हैं और यह खेल लोगों को एकजुट कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘जब फुटबॉल मैच होता है तो कोई भी हिंसा या सुरक्षा की परवाह नहीं करता. हर कोई फुटबॉल मैच देखना पसंद करता है.

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