गोल्ड कोस्ट : निशानेबाज श्रेयसी सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों के 21 वें चरण में डबल ट्रैप स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतने के बाद इसे अपने करियर के लिये ‘ मील का पत्थर ‘ करार दिया.
यह स्वर्ण उनके लिये इसलिये भी विशेष है क्योंकि अगले निशानेबाजी की स्पर्धा राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा नहीं होगी. लेकिन 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में जब वह खेलने गयी थी , उससे पहले उनके पिता का निधन हो गया था तो वह पूरी तरह से टूटी हुई थीं.
उन्होंने देश को 12वां स्वर्ण पदक दिलाने के बाद कहा, यह पदक मेरे लिये मील के पत्थर होगा. एनआरएआई के पूर्व अध्यक्ष दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी का 2010 में अभियान अपने पिता के निधन के कारण काफी खराब रहा था. उन्होंने कहा, यह मेरे करियर का सबसे बड़ा पदक है, सबसे ऊपर. यह काफी विशेष भी है क्योंकि निशानेबाजी 2022 राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा नहीं होगी.
लाजिस्टिकल मुद्दों के कारण 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल की स्पर्धाओं से निशानेबाजी को हटा दिया गया है क्योंकि आयोजकों ने इसके लिये स्थल तैयार करने में अक्षमता जाहिर की। इस 26 वर्षीय निशानेबाज ने कहा, यह पदक लंबे समय तक प्रेरित करता रहेगा. श्रेयसी ने शूट आफ के बाद पदक जीता.
उन्होंने कहा, मैं निश्चित रूप से नर्वस थी लेकिन साथ ही आत्मविश्वास से भी भरी थी. सच कहूं तो मैं चुनौती के लिये तैयारी थी, मैं किसी भी हालत में पीछे हटने को तैयार नहीं थी. अगर आप पूछोगे कि अभी मैं कैसा महसूस कर रही हूं तो यह सिर्फ खुशी ही है.