Ravi Shastri on Last 4 Coaches Rating: टीम इंडिया के पूर्व कोच और कमेंटेटर रवि शास्त्री (Ravi Shastri) ने भारतीय टीम की कोचिंग पर चर्चा की. उन्होंने टेस्ट फॉर्मेंट में टीम इंडिया के प्रदर्शन के साथ पूर्व कोचों की कोचिंग को लेकर प्रभात खबर के पॉडकास्ट में बड़ी बात कही है. जब उनसे भारतीय टीम के पिछले चार कोचों यानी खुद रवि शास्त्री, अनिल कुंबले (Anil Kumble), राहुल द्राविड़ (Rahul Dravid) और गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की बात को रेट करने की बात कही तो उनके जवाब ने सभी को हैरान कर दिया. पूर्व कोच ने यह भी बताया कि कोचिंग एक ऐसी जिम्मेदारी है, जहां हाथ में बैट या माइक की तरह कुछ नहीं होता, बल्कि भरोसा खिलाड़ियों के फैसलों पर ही रहता है. (Ravi Shastri Comment on Coaches Rating).
कोचिंग को रेट करने पर शास्त्री की खुली राय
प्रभात खबर के पॉडकास्ट में रवि शास्त्री से जब पूछा गया कि वह खुद को और पिछली कोचिंग लाइनअप और अनिल कुंबले, राहुल द्रविड, गौतम गंभीर को कैसे रेट करेंगे, तो उन्होंने बड़ा सीधा जवाब दिया. शास्त्री ने कहा कि उन्होंने सात साल कोचिंग की और हर पल का आनंद लिया. उनका कहना था कि खिलाड़ी के तौर पर बैट या बॉल हाथ में होता है और कमेंट्री में माइक, जिसे आप नियंत्रित कर सकते हो. लेकिन कोच के रूप में मैदान में आपके पास कुछ नहीं होता. सब कुछ खिलाड़ियों के फैसलों पर टिका होता है. इसी वजह से वह किसी को रैंक देने से बचते हैं और मानते हैं कि हर कोच की चुनौतियां अलग होती हैं.
गुवाहाटी टेस्ट ने बढ़ाई चिंता
इसके अलावा पॉडकास्ट में गुवाहाटी टेस्ट के सवाल पर जवाब देत हुए कहा गुवाहाटी में भारत 100/1 से 130/7 तक गिर गया और वहीं से मैच का रुख बदल गया. यही मामला शास्त्री की टिप्पणी का मुख्य कारण भी बना. उन्हें लगता है कि यह टीम इतनी कमजोर नहीं कि अचानक धराशायी हो जाए. उन्होंने कहा कि यह तकनीक की नहीं, मानसिक मजबूती की कमी की बात है. बल्लेबाजों ने गलत समय पर गलत शॉट खेले और विपक्ष ने इसका फायदा उठाया. शास्त्री ने सवाल उठाया कि जो खिलाड़ी बचपन से स्पिन खेलते आए हों, वे अचानक इस तरह क्यों संघर्ष कर रहे हैं.
क्लीन स्वीप की जिम्मेदारी पर उनका साफ स्टैंड
न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मिली टेस्ट क्लीन स्वीप पर शास्त्री ने बेहद स्पष्ट राय रखी. उन्होंने कहा कि इसके लिए किसी एक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराना गलत होगा. टीम मैनेजमेंट से लेकर खिलाड़ियों तक, यह सबकी सामूहिक जिम्मेदारी बनती है. उनके अनुसार दक्षिण अफ्रीका ने भारत को किसी एक खिलाड़ी के दम पर नहीं, बल्कि एक मजबूत टीम की तरह हराया है. वे मानते हैं कि जिम्मेदारियां बांटने से बेहतर है कि टीम मिलकर सुधार के रास्ते तलाशे.

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