Anil Kumble and Dale Steyn got Furious: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज डेल स्टेन (Dale Steyn) ने टीम के मुख्य कोच शुक्री कॉनराड (Shukri Conrad) के उस बयान पर कड़ी नाराजगी जताई है जिसमें उन्होंने भारत को लेकर ग्रोवल शब्द का इस्तेमाल किया था. यह शब्द क्रिकेट इतिहास में कई बार नस्लीय संदर्भ से जुड़कर विवाद खड़ा कर चुका है और इसी कारण इस पर भारी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. स्टेन ने साफ कहा कि ऐसे शब्दों का प्रयोग किसी भी स्थिति में सही नहीं है. अनिल कुंबले (Anil Kumble) और चेतेश्वर पुजारा भी इस बयान की आलोचना कर चुके हैं.
डेल स्टेन ने क्यों जताई नाराजगी
डेल स्टेन ने मैच से पहले एक शो में कहा कि वह इस तरह की भाषा से खुद को दूर रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका पहले ही मजबूत स्थिति में था और ऐसे में किसी भी उकसाने वाले शब्द की जरूरत नही थी. स्टेन के अनुसार इस शब्द का इतिहास कई दर्दनाक घटनाओं से जुड़ा रहा है और यही वजह है कि इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. उन्होंने यह भी कहा कि भले ही कॉनराड की मंशा वैसी न रही हो जैसी कभी टोनी ग्रेग की थी, लेकिन ऐसा शब्द इस्तेमाल करना गलत है.
कुंबले और पुजारा ने जाहिर की नाराजगी
डेल स्टेन के अलावा भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले और बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने भी कॉनराड के बयान की आलोचना की. कुंबले ने कहा कि ऐसे शब्द क्रिकेट की भावना के खिलाफ हैं और खेल में सम्मान सबसे ऊपर होता है. पुजारा ने भी माना कि प्रतिस्पर्धा जरूरी है, लेकिन बयानबाजी में उन शब्दों से बचना चाहिए जिनसे किसी समुदाय या देश की ऐतिहासिक चोट जुड़ी हुई हो. इन दोनों दिग्गजों की प्रतिक्रिया के बाद मामला और गंभीर दिखने लगा.
कॉनराड का विवादित बयान
चौथे दिन के खेल के बाद कॉनराड ने कहा था कि वह चाहते हैं इंडिया सच में ग्रोवल करे और इसका जिक्र करते हुए उन्होंने माना कि वह टोनी ग्रेग की पुरानी टिप्पणी से यह शब्द उठा रहे हैं. यही बात विवाद की वजह बनी. ग्रेग ने 1976 की वेस्टइंडीज सीरीज से पहले यही शब्द इस्तेमाल किया था जिसने कैरेबियन समुदाय में भारी गुस्सा पैदा किया था. उसके बाद वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को बुरी तरह हराया था और यह सीरीज क्रिकेट इतिहास में एक भावुक मोड़ मानी जाती है. इसी पृष्ठभूमि के कारण कॉनराड का बयान तुरंत आलोचना का विषय बन गया.
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बयान के पीछे छिपा ऐतिहासिक दर्द
क्रिकेट में ग्रोवल शब्द किसी साधारण चुनौती की तरह नहीं देखा जाता. यह उस दौर की याद दिलाता है जहां नस्लीय भेदभाव और उपनिवेशवाद से उपजे घाव बहुत गहरे थे. वेस्टइंडीज के कई खिलाड़ी ग्रेग की टिप्पणी के बाद बेहद आहत हुए थे. भारतीय टीम का भी अपना संघर्षशील इतिहास रहा है और ऐसे में यह शब्द कोच की ओर से सुनकर कई लोग हैरान रह गए. विशेषज्ञों ने कहा कि क्रिकेट जैसे वैश्विक खेल में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल टीम के माहौल को भी प्रभावित कर सकता है.
दक्षिण अफ्रीकी टीम पर असर
डेल स्टेन जैसे बड़े खिलाड़ी की नाराजगी के बाद दक्षिण अफ्रीकी टीम प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया है. यह बयान ऐसे समय आया जब टीम मैदान पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रही थी. कई विश्लेषकों ने कहा कि कॉनराड को भले ही अपनी मंशा साफ कर दी हो, लेकिन इस घटना से यह सीख जरूर मिली है कि शब्दों का चयन बेहद सोचविचार के साथ करना चाहिए. खेल में सम्मान, समझदारी और संवेदनशीलता सबसे अहम हैं और यही बात स्टेन, कुंबले और पुजारा के कमेंट्स में साफ नजर आती है.
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