नयी दिल्ली : बीसीसीआई में अब भी लोढ़ा समिति की सिफारिशों का प्रतिरोध जारी है और सूत्रों की मानें तो अब तक सिर्फ विदर्भ और त्रिपुरा की राज्य इकाइयों ने उच्चतम न्यायालय से स्वीकृत इन सुधारवादी सिफारिशों को जस का तस लागू करने का फैसला किया है.
लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने में बाधा पहुंचाने के लिए अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को बीसीसीआई अध्यक्ष और सचिव पद से बर्खास्त करने के बाद उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने क्रिकेट बोर्ड के कार्यों के दैनिक निर्वाह के लिए भारत के पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अगुआई में चार सदस्यीय पैनल का गठन किया था क्योंकि मामला अभी अदालत में चल रहा है.
प्रशासकों की समिति (सीओए) के एक करीबी सूत्र ने कहा, ‘‘राज्य संघ इंतजार कर रहे हैं (उच्चतम न्यायालय में आगे मामला कैसे चलता है). बीसीसीआई के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों के बाहर होने के बावजूद अब भी प्रतिरोध मौजूद है. सिफारिशों को सिर्फ विदर्भ और त्रिपुरा ने लागू किया है.” त्रिपुरा क्रिकेट संघ (टीसीए) और विदर्भ क्रिकेट संघ (वीसीए) पिछले साल सितंबर में लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने वाले बीसीसीआई के पहले पूर्ण सदस्य बने थे.
दिल्ली में 17 फरवरी को बैठक करने वाली सीओए जल्द ही पूरे बीसीसीआई में लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर उच्चतम न्यायालय में स्थिति रिपोर्ट सौंपेंगी. राय के अलावा सीओए में इतिहासविद रामचंद्र गुहा, आईडीएफसी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ विक्रम लिमये और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना इडुल्जी को शामिल किया गया है.
सूत्रों ने साथ ही इन अटकलों को भी खारिज किया कि अप्रैल में आईसीसी की अगली बोर्ड बैठक में अगर अच्छा करार नहीं मिला तो बीसीसीआई जून में चैम्पियन्स ट्राफी सहित आईसीसी की भविष्य की प्रतियोगिताओं से हट जाएगा. अप्रैल में बोर्ड बैठक में राजस्व वितरण के माडल के पुनर्गठन पर अंतिम फैसला होना है.
सूत्र ने कहा, ‘ (दुबई में आईसीसी बैठक में हिस्सा लेने वाले) लिमये ने हाल में बयान में स्पष्ट कहा था कि आईसीसी के साथ टकराव का रवैया काम नहीं करेगा. टूर्नामेंट से हटना हल नहीं है और इससे टीम के असंख्य प्रशंसकों को पीड़ा ही पहुंचेगी.”