नयी दिल्ली : संचालन के ढांचे में सुधार की न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद सकते में आये सतर्क बीसीसीआई ने इस रिपोर्ट के प्रभाव पर चर्चा के लिए अगले दो हफ्ते के भीतर आम सभा की विशेष बैठक (एसजीएम) बुलाने का फैसला किया है.
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लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर चर्चा के लिए एसजीएम बुलाएगा बीसीसीआई
नयी दिल्ली : संचालन के ढांचे में सुधार की न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिशों के बाद सकते में आये सतर्क बीसीसीआई ने इस रिपोर्ट के प्रभाव पर चर्चा के लिए अगले दो हफ्ते के भीतर आम सभा की विशेष बैठक (एसजीएम) बुलाने का फैसला किया है. बीसीसीआई के सभी आलाधिकारी कल मुंबई में बीसीसीआई […]
बीसीसीआई के सभी आलाधिकारी कल मुंबई में बीसीसीआई के वार्षिक पुरस्कार समारोह के दौरान मौजूद रहेंगे. बीसीसीआई के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘‘शशांक मनोहर आज शाम मुंबई पहुंचे हैं. पुरस्कार समारोह के लिए बाकी लोग कल सुबह तक वहां पहुंच जाएंगे. भारतीय टीम भी कल ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना होगी. शीर्ष अधिकारी कल तक एसजीएम की तारीख पर फैसला करेंगे और सदस्यों को स्थिति से अवगत कराया जाएगा.” सदस्य चर्चा करेंगे कि क्या वे रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के किसी बिंदू को चुनौती देना चाहते हैं या नहीं.
अध्यक्ष ने हालांकि इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है. बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर ने कहा, ‘‘मैंने अब तक रिपोर्ट नहीं देखी है और मैं तब तक किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा जब तक कि लोढ़ा समिति की पूरी रिपोर्ट नहीं पढ़ लेता.”
न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति के रिपोर्ट की सामग्री सार्वजनिक करने के बाद अधिकांश आलाधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि उच्चतम न्यायालय के मामले की सुनवाई करने के बाद ही अगले कदम पर फैसला किया जाएगा. उच्चतम न्यायालय में मामले की सुनवाई से पहले कोई भी अधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन अधिकारियों की चिंता के दो मुख्य क्षेत्र आयु की सीमा और कार्यकाल के बीच में ब्रेक लेना शामिल है.
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘‘आयोग ने कहा कि वे बीसीसीआई की स्वायत्ता को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते लेकिन कुछ सुझाव बोर्ड की स्वायत्ता में सीधा हस्तक्षेप हैं. शरद पवार की अध्यक्षता के दौरान बीसीसीआई ने खिलाडियों को पेंशन की योजना शुरू की थी. पवार अब भी भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं. आप 70 साल से अधिक का होने के कारण उन पर रोक नहीं लगा सकते.” चिंता का एक अन्य कारण दो पदों के बीच ब्रेक भी है.
एक अन्य प्रभावशाली अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर किसी व्यक्ति ने सचिव या कोषाध्यक्ष के रुप में अच्छा काम किया है तो फिर आप प्रशासक के रुप में उसे अच्छा काम करने से क्यों रोकना चाहते हो. साथ ही आप कार्यकाल को सीमित कैसे कर सकते हो. हम सरकार से सहायता नहीं लेते. चयन समिति का आकार घटाकर तीन सदस्यों का कर दिया गया है. तीन चयनकर्ता चार से पांच महीने में 27 रणजी ट्राफी टीमों पर कैसे ध्यान दे सकते हैं.”
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