नयी दिल्ली: गुटबाजी और मनोबल में कमी के कारण चयन समिति 2012 में महेंद्र सिंह धोनी की जगह युवा विराट कोहली को भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बनाना चाहती थी लेकिन बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने इसे खारिज कर दिया.
इस योजना को याद करते हुए पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता राजा वेंकट ने बताया कि उस समय आस्ट्रेलिया दौरे पर लगातार खराब नतीजे के कारण कोहली को कप्तान बनाने का विचार सामने आया था.भारत को टेस्ट श्रृंखला में 0-4 से शिकस्त का सामना करना पडा था और टीम उस समय काफी मुश्किल में नजर आ रही थी क्योंकि उससे कुछ महीने पहले इंग्लैंड में भी टीम को इसी अंतर से हार झेलनी पडी थी.
वेंकट ने कहा कि पूर्व कप्तान मोहिंदर अमरनाथ की अगुआई वाली चयन समिति का मानना था कि नेतृत्व में परिवर्तन टीम में नई उर्जा लाने और गिरे हुए मनोबल को बढाने के लिए जरुरी है.वेंकट ने कहा, मेरे दो साथी टेस्ट श्रृंखला के दौरान वहां थे और 0-3 से पिछडने के बाद वे वापस आ गए. उन्होंने देखा कि टीम का मनोबल गिरा हुआ है और खिलाडी छोटे गुटों में बंट गए हैं और यह अच्छा नहीं लग रहा था.
वेंकट ने कहा, हमने देखा था कि विराट ने एक सत्र पहले देवधर ट्राफी में उत्तर क्षेत्र की टीम की शानदार तरीके से अगुआई की थी, हमने सोचा कि क्यों ना त्रिकोणीय श्रृंखला के लिए उसे कप्तान के रुप में चुना जाए. इसके बाद हमने तत्कालीन सचिव (संजय जगदाले) को सूचित किया. सचिव ने अध्यक्ष को सूचना दी.
उन्होंने कहा, लेकिन तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा कि टीम की घोषणा पहले ही हो चुकी है इसलिए कप्तान बदलने की कोई जरुरत नहीं है. बीसीसीआई के संविधान के अनुसार चयनकर्ताओं के फैसले को पलटना अध्यक्ष के अधिकारों के दायरे में आता है. अमरनाथ ने हालांकि वेंकट के खुलासे पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि मीडिया में क्या आया है. मैं इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता. चयनकर्ता जब उस समय कोहली को कप्तान बनाने की सोच रहे थे तो वह सिर्फ 23 बरस के थे और वेंकट से जब पूछा गया कि क्या यह बल्लेबाज इस मुश्किल काम के लिए तैयार था तो उन्होंने कहा कि इस फैसले का नतीजा कुछ भी हो सकता था.वेंकट ने हालांकि इसका खुलासा नहीं किया कि चयन समिति के धोनी के साथ कैसे रिश्ते थे.

