-अनुज कुमार सिन्हा-
सोशल साइट्स पर धौनी की एक तसवीर चल रही है. आंखों में आंसू. उदास. यह तसवीर है वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार के बाद की. इस आंसू ने देश के क्रिकेटप्रेमियों को द्रवित किया है. सोचने पर मजबूर किया है. ठीक है धौनी इंसान हैं. भावुक भी हैं. हार का गम भी है. लेकिन पूरा देश धौनी के साथ है. ऑस्ट्रेलिया के साथ अगर भारतीय टीम हार गयी, तो इसमें कप्तान धौनी का दोष क्या है? क्या सेमीफाइनल में कप्तानी में धौनी ने कोई गलती की? क्या उसने कोई कैच छोड़ा? क्या खुदअच्छी बल्लेबाजी नहीं की? हां, टॉस हार गये. क्या टॉस जीतना या हारना धौनी के वश में था? नहीं था. एक कप्तान की जो भूमिका होती है, उसे धौनी ने बहुत बढ़िया तरीके से निभाया. जान लगा दिया. लेकिन जब धौनी मैदान में उतरे थे, मैच तो हाथ से निकल चुका था. अकेले कब तक लड़ते. फिर भी अकेले लड़ा. सबसे ज्यादा रन बनाये.
अगर दोबल्लेबाज भी धौनी का साथ दिया होता, तो कहानी कुछ और होती. टीम अगर हारी तो दोषी कुछ अन्य खिलाड़ी हैं, धौनी नहीं. इसलिए धौनी पर सवालउठाना ही गलत है. यहां इस बात को नहीं भूलनाचाहिए कि वर्ल्ड कप के पहले टीम इंडिया जहां खड़ी थी, उससे लगता नहीं था कि टीम सेमीफाइनल में भी जायेगी. पर धौनी ने इसी टीम के खिलाड़ियों कामनोबल बढ़ाया. उमेश यादव और शमी की बात छोड़ दें, तो मोहित शर्मा से भी विकेट निकलवाया. अश्विन का बेहतरीन उपयोग किया. दक्षिण अफ्रीका औरपाकिस्तान जैसी टीम को हराया. यह क्या कम बड़ी उपलब्धि है? यह वही धौनी हैं जिन्होंने दुनिया भर में भारतीय क्रिकेट का लोहा मनवाया है. 2011 का वर्ल्डचैंपियन बनाया. टी-20 का चैंपियन बनाया. इस वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया को दावेदार माना भी जा रहा है. कोई मैच बांग्लादेश से भारत नहीं हारा है. हारा हैतो ऑस्ट्रेलिया से. मजबूत टीम से. वह भी नहीं हारता, अगर बाकी बल्लेबाजों ने साथ दिया होता. अच्छी बल्लेबाजी की होती. कप्तान ने गेंदबाजी नहीं की. जैसा गेंदबाज ने कहा, वैसा क्षेत्ररक्षण लगाया. अब अगर गेंदबाज ऑफ की जगह लेग स्टंप या उससे बाहर गेंद फेंके, फुलटॉस फेंकने लगे, बिना लेंथ की
गेंदबाजी करने लगे तो इसमें कप्तान क्या करेगा? सलाह ही दे सकता है.धौनी ने किया. टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं. कप्तान के अलावा 10 और. सभी केसहयोग से मैच जीता जाता है. अकेले कोई भी कप्तान कुछ नहीं कर सकता.अब यह पूछा जा रहा है कि धौनी संन्यास कब लेंगे? कप्तानी छोड़ेंगे?क्यों संन्यास लेंगे और क्यों कप्तानी छोड़ेंगे? क्या गलती की है. धौनी ने मान बढ़ाया है. देश और झारखंड का. इसमौके पर पूरा देश धौनी के साथ है. यह कैसे भूल सकते हैं कि चार माह से धौनी घर से बाहर हैं. बेटी हुई है लेकिन उसे देखने नहीं आये क्योंकि देश के लिए खेल रहे थे. यह कम बड़ी कुर्बानी नहीं है. इस वर्ल्ड कप में लगातार सात जीत कम नहीं थी. हाल के दिनों में खेल में जो राजनीति आयी है, उसमें धौनी पर सुनियोजित तरीके से हमले हुए हैं. धौनी
झारखंड जैसे पिछड़े राज्य से आते हैं.किसी खेमेबाजी में विश्वास नहीं करते.क्रिकेट को धर्म मानते हैं. अब यह समय आ गया है कि वैसे लोगों की पहचान कीजाये जो धौनी जैसे खिलाड़ी को किनारे करने का कोई मौका नहीं चूकते. देश और झारखंड को धौनी पर गर्व है. धौनी ने मान बढ़ाया है. जितने अधिक समय तक धौनी टीम इंडिया का नेतृत्व करें, वह भारतीय क्रिकेट के हित में होगा.
स्पेशल कैप्टन हैं एमएस धौनी : गांगुली
सिडनी. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुलीउस वक्त भड़क उठे, जब उनसे टीम इंडिया केकप्तान महेंद्र सिंह धौनी के रिटायरमेंट पर सवालकिया गया. गांगुली ने कहा : आखिर उन्हें क्योंरिटायरमेंट ले लेना चाहिए? मुझे इस सवाल काजवाब बताइए. वह अभी भी नंबर एक बैट्समैन हैं.वह अभी सिर्फ 33 साल के हैं और पूरी तरह फिटभी. इन सबसे भी बढ़ कर सबसे महत्वपूर्ण बात यहहै कि वे भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तान हैं.यह एक सच्चाई है. फिर बताइए कि उन्हें क्योंसंन्यास लेना चाहिए. टेस्ट में धौेनी के संन्यास परगांगुली ने कहा : टेस्ट क्रि केट में संन्यास लेने काफैसला उनका निजी था. इसमें हमें कोई टिप्पणी करने के बजाय उस फैसले कासम्मान करना चाहिए, लेकिन वनडे क्रि केट में वे अभी भी काफी बेहतर हैं, तो संन्यासलेने पर कोई बात होनी ही नहीं चाहिए. वे एक स्पेशल कैप्टन हैं और इसके पीछे भीकोई कारण नहीं है कि उनसे टीम इंडिया की कमान छीन ली जाये. 26 मार्च को खेलेगये वर्ल्ड कप 2015 के दूसरे सेमीफाइनल में टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया ने 95 रनों सेहरा दिया. इस हार के साथ ही वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का सफर समाप्त हो गया.इसके बाद यह कयास लगाया जाने लगा कि अब धौनी वनडे से भी संन्यास ले सकते हैं.इस बारे में उनसे भी प्रेस कांफ्रेंस में पूछा गया.