नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के व्यावसायिक हित रखने वाले खिलाडियों और अधिकारियों को क्रिकेट प्रशासन से दूर रहने की टिप्पणी के संबंध में पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने आज स्पष्ट किया कि वह अब बीसीसीआई प्रशासन से नहीं जुडे हुए हैं.
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बीसीसीआई प्रबंधन से कोई लेना देना नहीं : सुनील गावस्कर
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के व्यावसायिक हित रखने वाले खिलाडियों और अधिकारियों को क्रिकेट प्रशासन से दूर रहने की टिप्पणी के संबंध में पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने आज स्पष्ट किया कि वह अब बीसीसीआई प्रशासन से नहीं जुडे हुए हैं. बीसीसीआई की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट सीए सुंदरम ने पूर्व खिलाडियों […]
बीसीसीआई की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट सीए सुंदरम ने पूर्व खिलाडियों जैसे गावस्कर, रवि शास्त्री, सौरव गांगुली, अनिल कुंबले, के श्रीकांत और वेंकटेश प्रसाद के नाम दिये और कहा कि उनके किसी न किसी तरह से आईपीएल के साथ व्यावसायिक हित जुडे हुए हैं.
गावस्कर ने एनडीटीवी से कहा, मैं आज अदालत में नहीं था और मैं नहीं जानता कि किस तरह की जिरह हुई. लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं अब बीसीसीआई प्रशासन से नहीं जुडा हूं. मेरा आखिरी प्रशासनिक पद 2008 या 2009 में तकनीकी समिति का अध्यक्ष था. इसके बाद मैं किसी समिति में नहीं रहा.
उन्होंने कहा, माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद मुझे आईपीएल का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. इसके बाद मेरा बीसीसीआई प्रबंधन के साथ कोई लेना देना नहीं रहा. आईपीएल संचालन परिषद का सदस्य होने के संबंध में पूछे गये सवाल पर गावस्कर ने कहा, मैं यही कह सकता हूं कि मुझे नियुक्त किया गया है और मैं चुनाव लडकर संचालन परिषद में नहीं पहुंचा.
गावस्कर ने इन सवालों से बचने की कोशिश की कि बीसीसीआई इस मसले में उनका नाम क्यों घसीट रहा है. उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता कि वास्तव में जिरह किस संदर्भ में हो रही थी. मेरे पास बीसीसीआई का कोई प्रशासनिक पद नहीं है.
कमेंटेटर की अपनी भूमिका के बारे में गावस्कर ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि उनके पास बीसीसीआई का पद है. उन्होंने कहा, टीडब्ल्यूआई और आईएमजी की तरह बीसीसीआई का भी खुद का प्राडक्शन हाउस है और वे कमेंटेटरों को अनुबंध पर रखते हैं. गावस्कर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के अंतिम फैसला आने के बाद ही इस पर टिप्पणी करना सही होगा क्योंकि अभी वह टिप्पणियां ही कर रहा है.
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