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16 साल बाद दोहराया गया इतिहास, लक्ष्‍मण की तरह हुआ रायुडू का हाल

नयी दिल्ली : इतिहास अपने को दोहराता है और क्रिकेट भी इसका अपवाद नहीं है. सोलह साल पहले जिन परिस्थितियों में वीवीएस लक्ष्मण विश्व कप 2003 की टीम में नहीं आ पाये थे लगभग वैसी ही कहानी दूसरे हैदराबादी बल्लेबाज अंबाती रायुडू के साथ दोहरायी गयी है. तीसरे नंबर के बल्लेबाज के रूप में लक्ष्मण […]

नयी दिल्ली : इतिहास अपने को दोहराता है और क्रिकेट भी इसका अपवाद नहीं है. सोलह साल पहले जिन परिस्थितियों में वीवीएस लक्ष्मण विश्व कप 2003 की टीम में नहीं आ पाये थे लगभग वैसी ही कहानी दूसरे हैदराबादी बल्लेबाज अंबाती रायुडू के साथ दोहरायी गयी है.

तीसरे नंबर के बल्लेबाज के रूप में लक्ष्मण का 2003 में विश्व कप टीम में स्थान पक्का माना जा रहा था, लेकिन टीम चयन से चंद महीने पहले न्यूजीलैंड दौरे में खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें विश्व कप टीम में जगह नहीं मिल पायी.

रायुडू अपने करियर में शुरू से नंबर तीन या चार पर खेलते रहे हैं. पिछले साल अक्टूबर से उन्हें नियमित तौर पर नंबर चार पर उतारा गया. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों में नाकामी के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया और अब लगता है कि 33 वर्षीय रायुडू का हैदराबाद के अपने सीनियर लक्ष्मण की तरह विश्व कप खेलने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा.

चयनकर्ताओं ने तब लक्ष्मण की जगह दिनेश मोंगिया को लिया था. मोंगिया के चयन का आधार यही था कि वह खेल की तीनों विधाओं बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में थोड़ा-थोड़ा योगदान दे सकते थे, जबकि लक्ष्मण विशुद्ध बल्लेबाज थे. रायुडू की जगह चुने गये विजय शंकर ने इसी साल एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया और अब तक केवल नौ मैच खेले हैं.

चयन समिति के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद ने शंकर के चयन पर ‘त्रिआयामी’ शब्द का उपयोग किया, क्योंकि वह तीनों विधाओं में योगदान दे सकते हैं. रायुडू विशुद्ध बल्लेबाज हैं. लक्ष्मण ने विश्व कप 2019 की टीम को लेकर कहा कि ‘यह संतुलित टीम है और भारत विश्व कप का प्रबल दावेदार है.’

हालांकि, टीम चयन से पहले उन्होंने खुद की 15 सदस्यीय टीम चुनी थी जिसमें रायुडू को जगह दी थी. स्वाभाविक है कि रायुडू को बाहर करने से वे निराश होंगे. लक्ष्मण को जब विश्व कप की टीम से बाहर किया गया था, तो उन्होंने तब कहा था, यह मेरे करियर का सबसे हताशाजनक क्षण था. मैंने विश्व कप के लिये कड़ी मेहनत की थी.

पिछले साल (2002 में) वेस्टइंडीज शृंखला में मैंने सबसे अधिक रन (312) बनाये थे और इसके बाद इस तरह से टीम से बाहर किया जाना बेहद करारा झटका था. यह निराशा हमेशा बनी रहेगी. इस खबर को पचाने में मुझे थोड़ा समय लगा.

रायुडू ने भी अपनी निराशा व्यक्त की और उन्होंने ‘त्रिआयामी’ शब्द का उपयोग व्यंग्यात्मक लहजे में करके चयनकर्ताओं पर तंज कसा। रायुडु ने ट्वीट किया, विश्व कप देखने के लिये त्रिआयामी (3डी) चश्मे का आर्डर कर दिया है. रायुडू के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए प्रज्ञान ओझा ने लिखा था, हैदराबादी क्रिकेटरों का दिलचस्प मामला… ऐसी स्थिति में रह चुका हूं.

निराशा समझ सकता हूं. दिलचस्प बात यह थी कि 2002-03 में न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले तीन वनडे में लक्ष्मण खेले थे जिनमें उन्होंने 9, 20 और 10 रन की पारियां खेली थी. इसके बाद तीन वनडे में उनकी जगह मोंगिया उतारे गये जिसमें वह 12, दो और शून्य का स्कोर ही बना पाये थे. इसके बावजूद मोंगिया को विश्व कप टीम में चुना गया जिसमें उन्होंने 11 मैच की छह पारियों में 20 की औसत से 120 रन बनाये थे.

उन्होंने पांच विकेट लिये थे. मोंगिया इसके बाद ज्यादा दिनों तक टीम में नहीं रहे और लक्ष्मण ने वापसी पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में 102 रन बनाये थे. रायुडू ने ऑस्ट्रेलियाई शृंखला से पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ आखिरी मैच में 90 रन बनाये थे. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों में वह 33 रन ही बना पाये और आखिर में ये तीन पारियां उनका विश्व कप में खेलने का सपना चकनाचूर कर गयी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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