नयी दिल्ली :केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सोमवार को आदेश दिया कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड अब सूचना के अधिकार (आरटीआई) के अंतर्गत काम करेगा और इसकी धाराओं के अंतर्गत देश के लोगों के प्रति जवाबदेह होगा.
आरटीआई मामलों में शीर्ष अपीली संस्था ‘सीआईसी’ ने इस निष्कर्ष को निकालने के लिये कानून, उच्चतम न्यायालय के आदेश, भारत के विधि आयोग की रिपोर्ट तथा युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी की प्रस्तुतियों को देखा कि बीसीसीआई की स्थिति, प्रकृति और काम करने की विशेषतायें आरटीआई प्रावधान की धारा दो (एच) की जरूरी शर्तों को पूरा करती है.
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने 37 पन्ने के आदेश में कहा, उच्चतम न्यायालय ने भी फिर से पुष्टि कर दी कि बीसीसीआई देश में क्रिकेट प्रतियोगिताओं को आयोजित करने के लिये ‘स्वीकृत’ राष्ट्रीय स्तर की संस्था है जिसके पास इसका लगभग एकाधिपत्य है.
आचार्युलू ने कानून के अंतर्गत जरूरी केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, केंद्रीय सहायक सार्वजनकि सूचना अधिकारी और प्रथम अपीली अधिकारियों के तौर पर योग्य अधिकारी नियुक्त करने के लिये अध्यक्ष, सचिव और प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया. उन्होंने आरटीआई प्रावधान के अंतर्गत सूचना के आवेदन प्राप्त करने के लिये बीसीसीआई को 15 दिन के अंदर आनलाइन और आफलाइन तंत्र तैयार करने के निर्देश दिये.
गौरतलब है कि जुलाई में सीआईसी ने बीसीसीआई और खेल मंत्रालय से यह बताने के लिये कहा है था कि विभिन्न न्यायिक फैसलों और विधि आयोग की ताजा रिपोर्ट के मद्देनजर बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत क्यों नहीं लाया जा सकता.
यह मसला उनके समक्ष तब आया जब खेल मंत्रालय आरटीआई आवेदक गीता रानी को संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. गीता रानी ने उन प्रावधानों और निर्देशों की जानकारी मांगी थी जिनके तहत बीसीसीआई भारत का प्रतिनिधित्व और देश की टीम का चयन करता है.
आवेदक ने पूछा था कि बीसीसीआई द्वारा चुने गए खिलाड़ी उसके लिये खेलते हैं या भारत के लिये और एक निजी संघ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कैसे कर सकता है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिये टीम चुनने का अधिकार बीसीसीआई को देने में सरकार का क्या फायदा है.
मंत्रालय ने कहा था कि उसके पास कोई जानकारी नहीं है क्योंकि बीसीसीआई आरटीआई अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है लिहाजा आरटीआई आवेदन उसे नहीं दिया जा सकता.