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अंडर-19 वर्ल्डकप: हम हैं चैंपियन, भारतीय क्रिकेट के भविष्य

अनुज कुमार सिन्हा भारतीय टीम (अंडर-19) जिस आसानी से अॉस्ट्रेलिया काे हरा कर चैंपियन बनी, वह यह बताने के लिए काफी है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है, स्वर्णिम है. सीनियर ताे सीनियर, जूनियर भी किसी मामले में कम नहीं. ये खिलाड़ी ही भविष्य के काेहली हैं, सचिन हैं, धाैनी हैं. भारत काे अब […]

अनुज कुमार सिन्हा

भारतीय टीम (अंडर-19) जिस आसानी से अॉस्ट्रेलिया काे हरा कर चैंपियन बनी, वह यह बताने के लिए काफी है कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है, स्वर्णिम है. सीनियर ताे सीनियर, जूनियर भी किसी मामले में कम नहीं. ये खिलाड़ी ही भविष्य के काेहली हैं, सचिन हैं, धाैनी हैं. भारत काे अब चिंता करने की बात नहीं है. पृथ्वी की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने वही करिश्मा कर दिखाया, जाे करिश्मा माे कैफ (2000), विराट काेहली (2008) आैर उन्मुक्त चंद (2012) की टीम ने किया था. इस बार का चैंपियन बनना खास है, क्याेंकि इस वर्ल्ड कप में भाग लेनेवाली किसी टीम में इतना दम नहीं था कि वह भारत काे एक मैच में भी हरा दे.

भारत ने हर मैच जीता. वह भी 10-20 रन या दाे-तीन विकेट से नहीं. शानदार तरीके से. फाइनल में जिस अॉस्ट्रेलिया काे आठ विकेट से हराया, पहले मैच में ही उसे 100 रन से हराया था. पीएनजी आैर जिंबाब्वे काे 10-10 विकेट से, बांग्लादेश काे 133 रन से आैर पाकिस्तान काे ताे 203 रन से हराना यह बताता है कि हर मैच भारत एकतरफा जीतता रहा. सबसे ज्यादा मजा आया सेमीफाइनल में, जब पाकिस्तान के खिलाफ मैच था. 272 रन बना कर पाकिस्तान की पूरी टीम काे 69 पर समेट कर मैच जीतने का आनंद ही कुछ आैर था.

भारतीय टीम (अंडर-19) अगर इतना शानदार खेली, ताे यह एक दिन की मेहनत नहीं है. इन खिलाड़ियाें काे तराशा है राहुल द्रविड़ ने. खुद इनके काेच थे. रात-दिन मेहनत की. सीनियर खिलाड़ियाें का बल्लेबाजी काेच बनने का अवसर मिला था, लेकिन चुनाैती ली जूनियर खिलाड़ियाें काे तैयार करने का. जाे जिम्मेवारी ली, उसे पूरा भी किया. भारत की टीम संतुलित रही. लगभग हर मैच में आेपनिंग बल्लेबाज चले. फाइनल भी एकतरफा ही रहा. एक समय अॉस्ट्रेलिया का स्काेर था चार विकेट पर 183, लेकिन उसके बाद भारतीय गेंदबाजाें ने अगले आठ आेवर में पूरी टीम काे 216 पर समेट दिया. यह गेंदबाजी की ताकत थी.

उसके बाद जिस तरीके से पृथ्वी आैर कालरा ने बेखाैफ बल्लेबाजी की, उससे कभी नहीं लगा कि भारत पर काेई दबाव है. कालरा ने अाराम से शतक बनाया. इस वर्ल्ड कप में बल्लेबाजी में अगर गिल, पृथ्वी, कालरा ने नाम कमाया, गेंदबाजी में झारखंड के अनुकूल राय ने उम्मीद जगायी है. सबसे ज्यादा अगर किसी खिलाड़ी ने चाैंकाया है, ताे वह हैं शिवम मावी आैर नागरकाेटी. कभी काेई साेच नहीं सकता था कि अंडर-19 का खिलाड़ी भी लगातार 145 या उससे भी तेज गति से लगातार गेंद फेंक सकता है. एक बार ताे यह गति 149 किमी प्रति घंटे थी. ऐसे खिलाड़ी भारत के लिए असेट्स हैं. इन्हें आैर तराशने की जरूरत है. इस वर्ल्ड कप टीम में कम से कम तीन-चार खिलाड़ी ऐसे हैं, जाे सीनियर टीम के दरवाजे पर पहुंच गये हैं. जरूरत है, ताे सिर्फ एक माैके की. इन खिलाड़ियाें में जुनून है. इनमें से कई काे आइपीएल में भी लिया गया है. वहां इन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का फिर माैका मिलेगा.

इसमें काेई दाे राय नहीं कि भारत में अब क्रिकेट का स्तर काफी ऊंचा हाे गया है. अनेक विकल्प तैयार बैठे हैं. एक खिलाड़ी किसी एक मैच में नहीं खेल पाता, उसकी जगह पर आया दूसरा खिलाड़ी शतक बनाता है या फिर पांच विकेट ले लेता है. इतने बेहतरीन खिलाड़ी तैयार हाे चुके हैं कि अंतिम 11 का चुनाव करना कप्तान-टीम मैनेजमेंट के लिए कठिन हाेता है. इसलिए वर्ल्ड कप जीतनेवाले इन युवा हीराेज काे धैर्य रखना हाेगा. कप्तान पृथ्वी लंबे रेस के खिलाड़ी हैं. उनके खेल में सचिन की झलक मिलती है. 2013 में 546 रन की पारी इस पृथ्वी ने खेली थी आैर चर्चा में आये थे. इस खिलाड़ी काे आज नहीं ताे कल जरूर अवसर मिलेगा. पृथ्वी में इतिहास रचने की क्षमता दिखती है. चैंपियन बनने से इन खिलाड़ियाें का मनाेबल बढ़ा है, देश का मान बढ़ा है. काेहली-धाैनी इस टीम से बहुत उम्मीद रखते हैं. युवा खिलाड़ियाें काे उस उम्मीद पर खरा उतरना हाेगा.

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