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जब सचिन तेंदुलकर को भूखे-प्यासे घर लौटना पड़ा था

नयी दिल्ली : महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को खाने का बहुत शौक है लेकिन चाइनिज खाने का उनका पहला अनुभव काफी निराशाजनक रहा था क्योंकि उन्हें घर भूखे और प्यासे लौटना पड़ा था. तेंदुलकर को अपनी मां के हाथ का खाना बहुत पसंद था, लेकिन ऐसा नौ साल के होने तक ही था क्योंकि इसके […]

नयी दिल्ली : महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को खाने का बहुत शौक है लेकिन चाइनिज खाने का उनका पहला अनुभव काफी निराशाजनक रहा था क्योंकि उन्हें घर भूखे और प्यासे लौटना पड़ा था.

तेंदुलकर को अपनी मां के हाथ का खाना बहुत पसंद था, लेकिन ऐसा नौ साल के होने तक ही था क्योंकि इसके बाद उन्होंने पहली बार चीन के खाने का स्वाद चखा था. मुंबई में 1980 के दशक में चीनी खाना बहुत लोकप्रिय हो रहा था और इसके बारे में इतना सुनने के बाद उनकी कालोनी के दोस्तों ने एक साथ मिलकर इसे खाने की योजना बनायी.

तेंदुलकर ने एक नयी किताब में इस घटना को याद किया है, हम सभी ने 10-10 रुपये का योगदान किया जो उस समय काफी पैसे होते थे और मैं कुछ नया आजमाने के लिये काफी रोमांचित था. हालांकि वो शाम काफी निराशाजनक साबित हुई क्योंकि उन्हें इस ग्रुप में सबसे छोटा होने का खामियाजा भुगतना पड़ा. उन्होंने इसमें कहा, उस रेस्त्रां में हमने चिकन और स्वीट कार्न सूप आर्डर किया.
हम लंबी टेबल पर बैठे थे और जब सूप मेरे पास दूसरे छोर से मेरे पास आया तो इसमें थोड़ा सा ही बचा था. ग्रुप के बड़े लड़कों ने ज्यादातर सूप खत्म कर दिया था और हम छोटों के लिये बहुत ही कम बचा था. लेकिन यह सब यहीं तक सीमित नहीं रहा.
उन्होंने कहा, यही चीज फ्राइड राइस और चाउमिन के साथ भी हुई और मुझे दोनों में से केवल दो चम्मच ही खाने को मिली. बड़े लड़कों ने हमारे खर्चे पर पूरा लुत्फ उठाया जिससे में भूखा, प्यास घर लौटा. हैचेट इंडिया ने बच्चों के लिये चेज योर ड्रीम्स नाम की किताब निकाली है जो तेंदुलकर की आत्मकथा प्लेइंग इट माई वे पर आधारित है.

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