नयी दिल्ली : टीम इंडिया से बाहर चल रहे युवराज सिंह की वापसी का रास्ता लगता है बंद होता जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि यो-यो दमखम प्रशिक्षण में वो एक बार फिर असफल हो गये हैं. यो-यो टेस्ट में फेल होने से युवी को करारा झटका लगा है, अब वो रणजी ट्रॉफी में पंजाब […]
नयी दिल्ली : टीम इंडिया से बाहर चल रहे युवराज सिंह की वापसी का रास्ता लगता है बंद होता जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि यो-यो दमखम प्रशिक्षण में वो एक बार फिर असफल हो गये हैं.
यो-यो टेस्ट में फेल होने से युवी को करारा झटका लगा है, अब वो रणजी ट्रॉफी में पंजाब का हिस्सा नहीं होंगे. हालांकि इसकी अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. लेकिन पुणे मिरर की खबरों की अगर मानें तो युवी को यो-यो टेस्ट में फेल होने के बाद रणजी ट्रॉफी से बाहर होना पड़ेगा.
* अश्विन ने पास किया ‘Yo-Yo Test’
एक ओर जहां युवी यो-यो टेस्ट में असफल हो गये हैं वहीं दूसरी ओर भारतीय टीम के हरफनमौला खिलाड़ी रविचंद्रन अश्विन ने बेंगलुर स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में यो-यो फिटनेस टेस्ट पास कर लिया है. अश्विन ने हाल ही में तमिलनाडु की तरफ से आंध्र प्रदेश के खिलाफ रणजी मैच खेला है.
अश्विन ने ट्वीट किया, बेंगलुर की यात्रा शानदार रही, यो यो टेस्ट पास किया. इंग्लैंड में वारेस्टरशर की ओर से काउंटी क्रिकेट खेलकर लौटने के बाद राज्य (तमिलनाडु) के लिये एमए चिदंबरम स्टेडियम में रणजी ट्राफी का पहला मैच खेलने वाले अश्विन यो यो टेस्ट के लिये बेंगलुर गये थे.
* ‘यो-यो ‘ परीक्षण में 21 का स्कोर बनाते हैं विराट कोहली
औसतन ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ‘यो-यो ‘ परीक्षण में 21 का स्कोर बनाते हैं. यहां विराट, रविंद्र जडेजा और मनीष पांडे लगातार यह स्कोर बनाते हैं जबकि अन्य 19.5 या इससे अधिक का स्कोर हासिल करते हैं. अधिकारी ने कहा, ‘ ‘इससे पहले जबकि पारपंरिक बीप टेस्ट हुआ करता था तो नब्बे के दशक के भारतीय खिलाडियों में से मोहम्मद अजहरुद्दीन, रोबिन सिंह और अजय जडेजा को छोड़कर अधिकतर 16 से 16.5 का स्कोर बनाते थे. लेकिन अब स्थिति भिन्न है और कप्तान खुद ही मानदंड स्थापित कर रहा है जो कि आस्ट्रेलियाई टीम ने अपने लिये तय किये हैं.
* क्या है ‘यो-यो ‘ परीक्षण
कई ‘कोन ‘ की मदद से 20 मीटर की दूरी पर दो पंक्तियां बनायी जाती हैं. एक खिलाड़ी रेखा के पीछे अपना पांव रखकर शुरुआत करता है और निर्देश मिलते ही दौड़ना शुरू करता है. खिलाड़ी लगातार दो लाइनों के बीच दौड़ता है और जब बीप बजती है तो उसने मुड़ना होता है. प्रत्येक एक मिनट या इसी तरह से तेजी बढ़ती जाती है. अगर समय पर रेखा तक नहीं पहुंचे तो दो और ‘बीप ‘ के अंतर्गत तेजी पकड़नी पड़ती है. अगर खिलाड़ी दो छोरों पर तेजी हासिल नहीं कर पाता है तो परीक्षण रोक दिया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया साफ्टवेयर पर आधारित है जिसमें परिणाम रिकार्ड किये जाते हैं.