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महेंद्र सिंह धौनी को खुल कर खेलने दें !

-विजय बहादुर- महेंद्र सिंह धौनी को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण के किए नामांकित करने की घोषणा हुई है. रांचीवासियों और झारखंड के लिए तो यह गर्व का क्षण है. जो लोग रांची के हैं या रांची में पले बढ़े हैं, वे जानते हैं की महेंद्र सिंह धौनी का रांची का होना […]


-विजय बहादुर-

महेंद्र सिंह धौनी को देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण के किए नामांकित करने की घोषणा हुई है. रांचीवासियों और झारखंड के लिए तो यह गर्व का क्षण है. जो लोग रांची के हैं या रांची में पले बढ़े हैं, वे जानते हैं की महेंद्र सिंह धौनी का रांची का होना यहां के लिए लोगों के लिए कितना मायने रखता है. रांची के लिए महेंद्र सिंह धौनी , धौनी/ धौनी भाई /धौनी भैया /माही/धौनीया है. मेकॉन ,डोरंडा ,हेहल ,रांची कॉलेज और न जाने रांची के कितने इलाकों के खेल मैदानों में धौनी के हेलीकॉप्टर शॉट, गगनचुंबी छक्कों,लंबे बालों की स्टाइल की मुहर लगी हुई है.

पुराने खिलाड़ियों से लेकर खोमचे में चना बेचने वाले आपको धौनी से जुड़ी न जाने कितने यादें ताजा करते मिल जायेंगें. आज भी धौनी अलमस्त है. जब भी रांची आते हैं वे अपने पुराने मित्रों,कोच,खिलाड़ियों से मिलते हैं. बाइक से शहर में घूमना ,पुराने मैदान में प्रैक्टिस के लिए जाना, फुटबॉल खेलना उनके प्रिय शगल है . देवड़ी मंदिर जाना शायद ही कभी भूलते हैं. हम कह सकते हैं कि धौनी रांची को जीता है या फिर रांची धौनी को जीती है.

महेंद्र सिंह धौनी पद्म भूषण के लिए नामित

1993 का समय होगा मैं पटना में कोचिंग में पढ़ाई करता था. उसी दौरान सिनेमा हॉल में टिकट काउंटर पर खड़ा था. सामने टिकट लेने वाले एक सज्जन का टिकट काटने वाले से किसी बात को लेकर बहस हो गयी. टिकट काटने वाले ने बिहारी लहजे में अपने सहकर्मी से पूछा ,जरा पता करो रांची की ट्रेन आ गयी क्या ?पहले तो मैं समझ नहीं पाया, फिर दिमाग पर जोर लगाया तो समझ में आया की टिकट काटने वाला व्यंग कर रहा है और उस व्यक्ति को रांची से सटे कांके में अवस्थित मानसिक आरोग्यशाला से जोड़ कर बता रहा है.
दूसरी घटना 2006 की है . मैं अपने मित्रों के साथ सिक्किम में योगथांग जा रहा था. पूरे रास्ते आबादी बहुत ही विरल थी. रास्ते में हमलोग चाय के एक छोटे दुकान पर रुके. चाय वाले से बात होने लगी और उसने हमलोगों से पूछा की आपलोग कहां से हैं. मैंने बताया की हमलोग रांची से हैं. आप रांची के बारे में जानते हैं? मेरी बात पूरी होने से पहले ही पहाड़ी चाय वाले ने कहा की अरे रांची को कौन नहीं जानता हैं ,वहीं जहां धौनी रहता है.

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उसके बाद से मुझे याद है की जब भी अपने देश में किसी भी जगह गया , सुदूर हो या महानगर , किसी को भी कहा कि मैं रांची से हूं. हर किसी ने एक ही शब्द कहा धौनी के शहर से. या फिर कोई भी सेलिब्रिटी रांची आया. गुलाम अली हो ,आशा भोंसले हो, सोनू निगम हो, सुखविंदर हो या फिर कोई और रांची. आते ही हर आम और खास पहला सवाल यही पूछता है धौनी को जानते हैं या धौनी कहां रहता है या फिर आप धौनी से मुलाकात करा सकते हैं. अपने माही ने रांची की पहचान बदल कर रख दी है.
धौनी की पहचान अपने शहर में कैसे बदली ये भी समझिए. अपने को भी क्रिकेट खेलने का खूब जूनून था. उसी समय सुना करता था की एक लड़का डीएवी श्यामली स्कूल (अब जेवीएम श्यामली) का है ,बहुत डेंजर (जबर्दस्त )खेलता है ,लंबा -लंबा छक्का मारता है. धौनी ने स्कूली क्रिकेट में धूम मचा रखा था. उसके बाद ऑफिस लीग में सीसीएल की तरफ से खेलते हुए कभी उरीमारी ,सयाल ,मुरी जैसी छोटी छोटी जगहों में जाकर धौनी ने खूब छक्के लगाए. अख़बारों में खूब उसके चर्चे होने लगें. लेकिन धौनी भारतीय टीम में जाएगा इसकी उम्मीद बहुत कम लोगों को थी.लोगों का मानना था पूर्वी भारत से वह भी झारखंड से किसी को नेशनल टीम में मौका मिलेगा ,असंभव है . कुछ क्रिकेटर रश्क में कहते थे की इसका बैटिंग तकनीक बहुत ही बेकार है. अंदाज पर बल्ला चलाता है ,बढ़िया बोलिंग अटैक होगा तो नहीं खेल पाएगा. लेकिन धौनी ने रेलवे से रणजी ,सीके नायडू में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इंडिया ‘ए’ और अंत में इंडिया टीम में अपनी जगह बना ली.

मुझे याद है धौनी जब इंडिया टीम में आजी तो उस समय दिनेश कार्तिक से उनकी तुलना की जाती थी और टीवी में बड़े एक्सपर्ट्स साबित करने में लगे रहते थे कि दिनेश कार्तिक की कीपिंग और बैटिंग तकनीक धौनी से बेहतर है. लेकिन 2005 में अपने पांचवें एकदिवसीय मैच में पाकिस्तान के खिलाफ धौनी ने जिस तरह का धुआंधार शतक लगाया वह इतिहास बन गया. उसके बाद धौनी ने दूसरे खिलाड़ियों से इतना अंतर बना दिया की उनकी तुलना सिर्फ गिलक्रिस्ट से की जाती है या उससे भी बेहतर माना जाता है. ‘कैप्टन कूल’ के रूप में उनके नेतृत्व में भारत 2007 में 20 -20 वर्ल्ड कप और 2011 में एक दिवसीय वर्ल्ड कप में चैंपियन बना. टेस्ट क्रिकेट में आइआइसीसी वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर 1 टीम बना. बार- बार धौनी ने देश का नाम रोशन किया और रांची को नयी पहचान दी.

हाल ही में भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने कहा की भारतीय क्रिकेट इतिहास में धौनी का नाम सुनील गावस्कर ,कपिलदेव और सचिन तेंदुलकर के साथ लिया जाएगा. रवि शास्त्री का यह बयान धौनी के इंटरनेशनल क्रिकेट में बनाये गये उनके इंपैक्ट को दर्शाता है.गाहे बगाहे अभी भी कुछ एक्सपर्ट्स धौनी के चूक जाने या उनके खेल को ढलान पर जाने होने की बात कर उन्हें रिटायर होने की सलाह देते रहते हैं. हाल में पूर्व ऑस्ट्रेलियन कप्तान माइकल क्लार्क से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या आपको लगता है धौनी 2019 वर्ल्ड कप में टीम में होंगे.

माइकल क्लार्क ने मजाकिये अंदाज में कहा की मैं तो 2023 वर्ल्ड कप में धौनी के बारे में सोच रहा हूं. धौनी आज भी भारतीय टीम में सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक हैं. टेस्ट टीम से धौनी रिटायर हो चुके हैं और आने वाले समय में जब भी लिमिटेड ओवर फॉरमेट से रिटायर करेंगे, दुनिया के बेस्ट फिनिशर का रिप्लेसमेंट ढूंढ़ना बहुत मुश्किल होगा. धौनी जैसे खिलाड़ी सदियों में एक होते हैं इसलिए बेहतर होगा जब तक धौनी चाहें उन्हें खुल कर खेलने दें.

Prabhat Khabar Digital Desk
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