21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bhoot Chaturdashi 2025: भूत चतुर्दशी क्या है? जानें बंगाल में दिवाली से एक दिन पहले इसे क्यों मनाया जाता है

Bhoot Chaturdashi 2025: भूत चतुर्दशी बंगाल में मनाया जाने वाला एक खास त्योहार है. यह पर्व काली पूजा, यानी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शाम के समय माता काली, भगवान यमराज, भगवान शिव और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है, वहीं रात के समय माता चामुंडा की आराधना की जाती है. चलिए समझते हैं, इस पर्व के पीछे छिपे धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से. 

Bhoot Chaturdashi 2025:भारत एक विविधताओं वाला देश है. यहां हर राज्य में आपको अलग-अलग रीति-रिवाज, परंपराएं, त्योहार और संस्कृतियां देखने को मिलेंगी. ऐसा ही एक अनोखा और खास त्योहार है भूत चतुर्दशी का. इस पर्व को पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में दिवाली के एक दिन पहले, यानी छोटी दिवाली के दिन मनाया जाता है. इस पर्व को कई जगह नरक निवारण चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है.

जहां भारत के अन्य राज्यों में इस दिन भगवान कृष्ण, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना की जाती है, वहीं पश्चिम बंगाल में इस दिन माता चामुंडा, भगवान शिव, भगवान हनुमान, भगवान कृष्ण और भगवान यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं, इस पर्व को क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे का धार्मिक महत्व क्या है.

भूत चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है?

माना जाता है कि भूत चतुर्दशी की पूजा करने से बुरी शक्तियां और नकारात्मक आत्माएं घर से दूर रहती हैं. साथ ही, इससे पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है. कहा जाता है कि इस दिन बुरी शक्तियां और आत्माएं अत्यंत सक्रिय रहती हैं. इसलिए इस दिन घरों में माता काली की पूजा करने से ये नकारात्मक शक्तियां घर के वातावरण में प्रवेश नहीं कर पातीं.

भूत चतुर्दशी का धार्मिक महत्व क्या है?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मृत 14 पूर्वज धरती पर अपने परिजनों से मिलने आते हैं. इसी कारण इस दिन घरों में 14 दीपक जलाने की विशेष परंपरा है. कहा जाता है कि ये दीपक पूर्वजों को घर का रास्ता दिखाने में मदद करते हैं. इन दीपों को घर के हर कोने में रखा जाता है, जो पूर्वजों के सम्मान और स्वागत का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि पूर्वज इस दिन अपने परिवार को खुश देखकर तृप्त होते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं. साथ ही, यह भी विश्वास किया जाता है कि इससे घर से बुरी शक्तियों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

भूत चतुर्दशी के दिन बच्चों को घर से क्यों नहीं निकलने दिया जाता है?

इस दिन छोटे बच्चों को घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाती. माना जाता है कि इस दिन तांत्रिक विशेष सिद्धियां प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं और प्राचीन मान्यता के अनुसार, वे बच्चों की बलि चढ़ाते थे. इसी कारण बच्चों की सुरक्षा के लिए इस दिन उन्हें घर से बाहर न जाने की सख्त मनाही होती है.

भूत चतुर्दशी के दिन माता को किस चीज का भोग लगाया जाता है?

बंगाल में इस दिन एक विशेष प्रकार का भोजन बनाने की परंपरा है, जिसे चोद्दो शाक कहा जाता है. इस व्यंजन को 14 अलग-अलग प्रकार की साग और पत्तेदार सब्जियों को मिलाकर बनाया जाता है.

यह भी पढ़ें: Narak Chaturdashi Katha 2025: नरक चतुर्दशी की शुरुआत कैसे हुई? जानें कि इस पर्व का नाम नरक चतुर्दशी क्यों पड़ा

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

Neha Kumari
Neha Kumari
प्रभात खबर डिजिटल के जरिए मैंने पत्रकारिता की दुनिया में पहला कदम रखा है. यहां मैं एक इंटर्न के तौर पर काम करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से जुड़े विषयों पर कंटेंट राइटिंग के बारे में सीख रही हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel