Shardiya Navratri 2025 Day 5: नवरात्रि के नौ दिनों में पांचवां दिन देवी स्कंदमाता को समर्पित होता है. माँ दुर्गा का यह स्वरूप करुणा और मातृत्व का प्रतीक है. देवी अपने पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) को गोद में धारण किए रहती हैं, इसी कारण उन्हें संतान सुख और पालन-पोषण की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन की आराधना खासतौर पर गर्भवती महिलाओं और संतान की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायी होती है.
धार्मिक विश्वास है कि स्कंदमाता की पूजा करने से गर्भस्थ शिशु पर आने वाले संकट टल जाते हैं और माँ-बच्चे दोनों को स्वास्थ्य व सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है. कहा जाता है कि उनकी कृपा से संतान दीर्घायु, स्वस्थ और तेजस्वी बनती है.
स्कंदमाता व्रत पूजा विधि
गर्भवती महिलाओं को इस दिन पीले या नारंगी वस्त्र पहनकर पूजा करने की सलाह दी जाती है. स्कंदमाता को पीले फूल, केले और हलवे का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है. पूजा के दौरान “ॐ देवी स्कंदमातायै नमः” मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है. शास्त्रों के अनुसार, पूजा के बाद प्रसाद छोटे बच्चों या गर्भवती महिलाओं को बांटने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है.
धार्मिक और स्वास्थ्य दृष्टि से महत्व
आचार्य बताते हैं कि स्कंदमाता की आराधना मातृत्व की शक्ति को जागृत करती है और माँ को विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है. वहीं आयुर्वेदिक मान्यता है कि इस दिन सात्त्विक भोजन और फलाहार व्रत गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी रहता है. इससे शरीर में हलकापन, ऊर्जा और मानसिक संतुलन बना रहता है.
विशेषज्ञों की राय
ज्योतिषाचार्यों और विद्वानों का मत है कि नवरात्रि के पाँचवे दिन ध्यान और मंत्रोच्चारण गर्भवती महिलाओं को मानसिक संबल प्रदान करते हैं. सकारात्मक वातावरण माँ के मन को शांत करता है और गर्भावस्था के दौरान तनाव को कम करता है.
नवरात्रि का पांचवां दिन केवल पूजा-पाठ का अवसर ही नहीं बल्कि मातृत्व की शक्ति और सम्मान का उत्सव भी है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह दिन मानसिक शांति, सुरक्षा और संतान के उज्ज्वल भविष्य का वरदान लेकर आता है. यही कारण है कि हर घर में स्कंदमाता की आराधना को विशेष महत्व दिया जाता है.

