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Pradosh Vrat 2021 June: आज है भौम प्रदोष व्रत, इस बार बन रहें हैं बेहद शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और इस व्रत का महत्व

Pradosh Vrat 2021 June: आज प्रदोष व्रत का पर्व है. शिव भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का खास महत्व है. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत भगवान शिव-मां पार्वती के व्रतों में सर्वोत्तम माना गया है. इसे रखने वाले के जीवन में हर तरह के कष्ट दूर होते हैं. प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदशी तिथि को किया जाता है.

Pradosh Vrat 2021 June: आज प्रदोष व्रत का पर्व है. शिव भक्तों के लिए प्रदोष व्रत का खास महत्व है. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत भगवान शिव-मां पार्वती के व्रतों में सर्वोत्तम माना गया है. इसे रखने वाले के जीवन में हर तरह के कष्ट दूर होते हैं. प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. इस बार ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि 22 जून 2021 दिन मंगलवार यानि आज प्रदोष व्रत है.

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है. 22 जून को शाम 07 बजकर 22 मिनट से रात्रि 09 बजकर 23 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा.

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की माता पर्वती के साथ पूजा करने का विधान है. शास्त्रोक्त विधि से पूजन करने के लिए व्रत के दिन सुबह स्नान कर रेशम के कपड़ों से मण्डप का निर्माण करना चाहिए. इसके बाद मण्डप में शिवलिंग या शिव परिवार का चित्र स्थापित करें. पंचाक्षर मंत्र से आराधना करें तथा संकल्प लेकर पूरे दिन फलाहार व्रत रखना चाहिए. भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें और चंदन लगाएं.

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फिर धूप-दीप प्रज्जवलित करें और शिव जी को उनकी प्रिय चीजें धतूरा, भांग, बेलपत्र आदि अर्पित करें. फल, फूल नैवेद्य से भगवान शिव के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें. इसके बाद वही पर बैठकर शिव चालीसा या मंत्र जाप करें. पूजा पूर्ण हो जाने के बाद शिव जी की आरती करें. व्रत का पारण अगले दिन चतुर्दशी तिथि को किया जाता है. भौम प्रदोष व्रत रखने से दाम्पत्य जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और विवाह में आने वाली बाधा भी दूर हो जाता है.

भौम प्रदोष का महत्व

मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस व्रत का महात्मय मंगलवार को होने से और अधिक बढ़ जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी का पूजन भी किया जाता है. इस व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. कर्ज से मुक्ति मिलती है. पुराने से पुराने रोग का नाश होता है. शौर्य-बल में वृदि्ध होती है. जिन जातकों की कुंडली में मंगल खराब होता है, उन्हें विशेष तौर पर ये व्रत करना चाहिए.

त्रयोदशी तिथि को बन रहे हैं ये शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सिद्धि व साध्य योग बन रहे हैं. इन दोनों योगों में कोई भी कार्य करने से उसमें सफलता प्राप्त होती है. इस दिन दोपहर 1 बजकर 52 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा. इसके बाद साध्य योग लग जाएगा. इस दिन विशाखा और अनुराधा नक्षत्र हैं. ये दोनों नक्षत्र भी ज्योतिष में शुभ माने जाते हैं. इस दिन दोपहर 02 बजकर 23 मिनट तक विशाखा नक्षत्र रहेगा. इसके बाद अनुराधा नक्षत्र लग जाएगा.

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Posted by: Radheshyam Kushwaha

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