Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष का सनातन धर्म में खास महत्व है. इस दौरान मरे हुए पूर्वजों को याद किया जाता है. मान्यता है कि इस समय किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद घर पर बना रहता है. भारत में कुछ खास धार्मिक स्थल पिंडदान के लिए प्रसिद्ध हैं, जहां हर साल लाखों लोग जाते हैं और श्राद्ध एवं पिंडदान करते हैं. आइए जानते हैं पिंडदान के लिए प्रसिद्ध कुछ प्रमुख स्थलों के बारे में.
पितृ पक्ष में पिंडदान के प्रमुख धार्मिक स्थल
गया (बिहार) – पिंडदान के लिए प्रसिद्ध स्थानों में सबसे पहले गया का नाम आता है. पितृ पक्ष के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग गया आते हैं. यहां विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी तट पर पिंडदान किया जाता है. फल्गु नदी को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इस स्थल पर पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
द्वारका (गुजरात) – पिंडदान के लिए प्रमुख धार्मिक स्थानों में गुजरात के द्वारका का नाम भी शामिल है. यहां गोमती नदी के किनारे लोग अपने मरे हुए पूर्वजों के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं.
वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – वाराणसी या काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. यहां हर साल लाखों लोग पिंडदान और श्राद्ध कार्य करते हैं. कहा जाता है कि गंगा घाट पर पिंडदान और श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है.
उज्जैन (मध्य प्रदेश) –
मध्य प्रदेश का उज्जैन भी पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करने के लिए विख्यात है. यहां खास तौर पर लोग शिप्रा नदी तट पर पिंडदान करने आते हैं. पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

