Paush Month 2025: हिंदू पंचांग के दसवें महीने को पौष कहा जाता है, जिसे आम भाषा में पूस का महीना भी कहते हैं. यह समय साल की सबसे अधिक ठंड लेकर आता है. इसी कारण इसे तप, साधना और आत्मिक शक्ति बढ़ाने का महीना माना गया है. धर्मशास्त्रों में पौष का महीना भगवान सूर्य की उपासना, अध्यात्म, ध्यान और दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ बताया गया है.
पौष महीने में खरमास भी लगता है, इसलिए इस दौरान शादी, गृह प्रवेश या अन्य मांगलिक कार्यों को करने की मनाही रहती है. लेकिन पूजा-पाठ, जप-तप और दान के लिए यह समय बेहद फलदायी माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में किया गया साधना-तप सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फल देता है.
सूर्य पूजा का सबसे बड़ा महीना
पौष माह मूल रूप से सूर्य देव को समर्पित माना जाता है. सर्दियों में सूर्य की किरणें स्वास्थ्य और जीवन दोनों को संबल देने वाली मानी जाती हैं. इसलिए इस महीने में हर सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करने की परंपरा है.
ये भी पढ़ें: पौष माह का आरंभ, जानें इस महीने का धार्मिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार—
- पौष में हर रविवार सूर्य देव को अर्घ्य देने से घर में सुख-शांति आती है.
- तिल, चावल और खिचड़ी का भोग लगाने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.
- सूर्य मंत्रों का जाप और ध्यान जीवन में ऊर्जा, सम्मान और सफलता बढ़ाता है.
- इस अवधि में मांस, मदिरा, बैंगन, मूली और उड़द-मसूर दाल का सेवन त्यागने की भी परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि ये चीजें शरीर में आलस्य बढ़ाती हैं और साधना में बाधा पैदा करती हैं.
- तप, साधना और योग का उत्तम काल
तप, साधना और योग का उत्तम काल
पौष की ठंड तपस्या को अधिक प्रभावी बनाती है. धार्मिक मान्यता है कि ठंडे वातावरण में साधना मन और शरीर दोनों को अधिक स्थिर बनाती है.
इस महीने में—
पौष की ठंड तपस्या को अधिक प्रभावी बनाती है. धार्मिक मान्यता है कि ठंडे वातावरण में साधना मन और शरीर दोनों को अधिक स्थिर बनाती है.
इस महीने में—
ध्यान, योग, उपवास, जप, मौन साधना विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं. माना जाता है कि यह समय आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का श्रेष्ठ अवसर देता है.
पितरों को स्मरण करने का शुभ समय
पौष माह न सिर्फ देवताओं की उपासना बल्कि पितरों के तर्पण के लिए भी बहुत शुभ माना गया है. इस महीने की अमावस्या को पितरों को जल देना, पितृ तर्पण करना, दीपदान करना बहुत फलदायी माना जाता है. इससे परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और नकारात्मकता दूर होती है.
क्यों वर्जित होते हैं मांगलिक कार्य?
पौष माह में लगने वाले खरमास को देवताओं का विश्राम काल बताया गया है. इसीलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, कोई बड़ा मांगलिक कार्य इस समय नहीं किया जाता. हालांकि पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान पूरी तरह शुभ माने जाते हैं.
दान-पुण्य का महत्व
पौष महीना दान के लिए विशेष माना जाता है. इस समय गर्म कपड़े, तिल, गुड़, अनाज, कंबल, दान करने से पुण्य की प्राप्ति बढ़ती है. माना जाता है कि यह दान न सिर्फ सर्दी से राहत देता है बल्कि मन को भी पवित्र बनाता है.

