Navratri 2025: इस बार शारदीय नवरात्रि 10 दिन की है, जिसमें देवी मां के सभी स्वरूपों की पूजा विधिपूर्वक की जाएगी. नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है. माना जाता है की अगर आप दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ नहीं कर पाते, तो दुर्गा सप्तश्लोकी के श्लोकों का नियमित जाप करने से भी माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. इस पाठ का अपना विशेष महत्व है और यह जीवन में शक्ति, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है. नवरात्रि में दुर्गा सप्तश्लोकी का भी पाठ करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं.
दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ हिंदी अर्थ सहित
शिव उवाच
देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी । कलौ हि कार्यसिद्धयर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः॥
शिव जी बोले :- हे देवि! तुम भक्तों के लिये सुलभ (सरल, सहज) हो और समस्त कर्मों का विधान करने वाली हो। कलयुग में कामनाओं की प्राप्ति के लिए यदि कोई उपाय हो तो उसे अपनी वाणी द्वारा उचित तरीके से व्यक्त करो।
देव्युवाच
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्ट साधनम्। मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥
देवी ने कहा :- हे देव! आपका मेरे ऊपर बहुत स्नेह है। कलयुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला जो साधन है वह बतलाऊँगी, सुनो! उसका नाम है ‘ अम्बा स्तुति ‘।
विनियोग :-
ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्रस्य नारायण ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः,श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यै देवताः, श्री दुर्गा प्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोगः।
विनियोग का अर्थ :- ॐ इस दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्र के नारायण ऋषि हैं, अनुष्टुप् छन्द है, श्री महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती देवता हैं, श्री दुर्गा की प्रसन्नता के लिये सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ में इसका विनियोग किया जाता है।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥
अर्थ :- वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती हैं ॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥
अर्थ :- हे माँ दुर्गे! आप सभी प्राणियों के कष्ट हर लेती हैं और भय का नाश करती हैं और पुरुषों को सद्बुद्धि प्रदान करती हैं। दुःख, दरिद्रता और भय को हरने वाली देवी आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिये सदा ही दयार्द्र रहता है ॥
सर्व मङ्गल मङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
अर्थ :- हे मां नारायणी तुम अपने भक्तों की रक्षा करती हो, तुम सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी हो। सब पुरुषार्थों को सिद्ध करने वाली, शरणागतवत्सला हो, तीन नेत्रों वाली मां गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है ॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
अर्थ :- अपने शरण में आये हुए दीनों एवं पीड़ितों की रक्षा करने वाली और सबकी पीड़ा दूर करने वाली नारायणी देवी ! आपको नमस्कार है ॥ सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते ॥
अर्थ :- हे मां सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी और सब प्रकार की शक्तियों से सम्पन्न दिव्यरूपा दुर्गा देवी आप सब भयों से हमारी रक्षा करो, आपको नमस्कार है।
रोगान शेषा नपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥
अर्थ :- हे मां तुम अपने भक्तों के सभी कष्टों को खत्म करती हो सभी की मनोकामनाओं को पूरा करती हो। जो व्यक्ति तुम्हारी शरण में जाता उस पर कभी कोई विपत्ति नहीं आती। तुम्हारी शरण में गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं ॥
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम् ॥
अर्थ :- हे मां सर्वेश्वरी, आप इसी प्रकार तीनों लोकों की समस्त बाधाओं को शांत करें और हमारे शत्रुओं का नाश करती रहें ॥
दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ का महत्व
मान्यताओं के अनुसार अगर आप दुर्गा सप्तशती का पूरा पाठ नहीं कर पाते, तो दुर्गा सप्तश्लोकी के श्लोकों का नियमित जाप करने से भी माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. यह तरीका उन भक्तों के लिए खास है, जो समय या अनुभव की कमी के कारण संपूर्ण पाठ नहीं कर पाते, फिर भी वे मां की शक्ति और संरक्षण का अनुभव कर सकते हैं.
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