Durga Mata Story: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने शेर पर सवार होकर ही अधर्म और अन्याय पर विजय प्राप्त की थी. शेर उनकी शक्ति, साहस और सामर्थ्य का प्रतीक है. इसे देखकर भक्तों में भी डर और असुरक्षा पर काबू पाने की भावना जागती है. मां दुर्गा की यह छवि हमें सिखाती है कि जीवन में विपरीत परिस्थितियों का सामना साहस और विश्वास के साथ करना चाहिए. यही कारण है कि दुर्गा माता को हमेशा शेर पर सवार दिखाया जाता है और यह उनकी सहास और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है.
क्यों करती हैं मां दुर्गा शेर की सवारी
मान्पुयताओं के अनुसार पुराणों में एक दिलचस्प कथा मिलती है, जो बताती है कि मां दुर्गा का वाहन शेर क्यों बना. कहा जाता है कि देवी पार्वती तपस्या में लीन थीं. इस तपस्या में उन्होंने सालों तक भोजन और जल का त्याग किया और पूरी तरह ध्यान में डूबी रहीं. इसी दौरान एक शेर वहां आया उसे लगा कि जैसे ही देवी की तपस्या पूरी होगी, वह उनका शिकार कर लेगा. लेकिन समय के साथ शेर ने देखा कि देवी निरंतर ध्यान में लगी हैं. उसने भी अपने स्वभाव के विपरीत धैर्य और संयम दिखाया—न भूख मिटाई, न प्यास बुझाई, न देवी को परेशान किया. जब देवी की तपस्या समाप्त हुई, तो भगवान शिव प्रकट हुए और देवी को अद्भुत आभा और सुंदर रूप प्रदान किया. वो माता महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं. उसी समय देवी ने उस शेर को देखा, जिसने इतने लंबे समय तक उनकी रक्षा की. उनके धैर्य और निष्ठा को देखकर देवी प्रसन्न हुईं और उसे अपना सवारी बना लिया.
शेर पर सवार मां दुर्गा का महत्व
मां दुर्गा और शेर का चित्र केवल रूप सजावट नहीं है, बल्कि इसमें एक गहरा आध्यात्मिक संदेश छिपा है. जब मां दुर्गा शेर पर सवार होती हैं, तो यह दिखाता है कि धर्म और सत्य की रक्षा करने वाली शक्ति हमेशा विजयी रहती है. शेर धर्म का प्रतीक है—मजबूत, साहसी और अन्याय के सामने कभी न झुकने वाला. कहा जाता है कि मां दुर्गा की गर्जना शेर की दहाड़ जैसी होती है, जो हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना निडर होकर करने की प्रेरणा देती है. खासकर महिलाओं के लिए यह संदेश और भी महत्वपूर्ण है. यह दिखाता है कि स्त्री केवल कोमल और करुणामयी ही नहीं होती, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की प्रतीक भी है.
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