Navratri 2025 Day 4: देवी भागवत पुराण के अनुसार मां कुष्मांडा का वर्णन देवी भागवत पुराण में किया गया है. उन्हें आठ भुजाओं वाली माता के रूप में दर्शाया गया है, जिनके हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र, गदा और जप माला दिखाई जाती है. माता शेर पर सवार होती हैं और उनका यह रूप शक्ति, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है. कुछ ग्रंथों में उन्हें चार हाथों वाली भी दिखाया गया है, जो उनके चौथे स्वरूप और जीवन के चार उद्देश्य—धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—को दर्शाता है. जब सृष्टि अस्तित्व में नहीं थी, तब देवी कुष्मांडा ने सृष्टि की रचना की.
इस गलती से खंडित हो सकती है पूजा
नवरात्रि के चौथे दिन छोटी सी चूक से पूजा और व्रत प्रभावित हो सकते है. विशेषकर महिलाओं को आज विशेष सावधानी बरतनी होगी ताकि कोई गलती न हो और व्रत का फल पूर्ण रहे. आज किसी भी स्थिति में हाथ से पूरे कद्दू को काटना नहीं चाहिए. साथ ही, देवी कुष्मांडा के नाम से जुड़ा एक विशेष फल भी है, जिसे कुछ जगह में भतुआ या पेठा कहा जाता है. यही फल पेठा मिठाई बनाने में इस्तेमाल होता है, और इसे देवी के भोग के रूप में अर्पित करना शुभ माना जाता है.
इच्छाएं पूर्ण करती हैं मां कुष्मांडा
जब कोई व्यक्ति किसी काम की सफलता या मनोकामना के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है, तो वह इच्छाएं देवी के आशीर्वाद से पूरी होती हैं. देवी ही सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हैं. उनकी उपासना करने से व्यक्ति के दुख और रोग दूर होते हैं, और आयु, यश, शक्ति और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. अगर भक्त सच्चे दिल से मां कुष्मांडा की भक्ति करता है और उनकी शरण में आता है, तो उसे आसानी से जीवन में उच्च सफलता और परम आनंद की प्राप्ति हो सकती है.
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