Margashirsha Purnima 2025: हिंदू धर्म में हर पूर्णिमा पवित्र मानी जाती है, लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है. शास्त्रों के अनुसार यह महीना स्वयं भगवान कृष्ण का प्रिय है और इस दिन चांद की ऊर्जा अपने चरम पर होती है. इसलिए इस पूर्णिमा को आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद शुभ माना गया है.
कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा
इस साल 4 दिसंबर को पड़ने वाली मार्गशीर्ष पूर्णिमा बेहद खास मानी जा रही है. यह 2025 की आखिरी पूर्णिमा भी है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष महीना श्रीहरि को बहुत प्रिय है, और इस महीने की पूर्णिमा पर पूजा, व्रत और भक्ति करने से भगवान की विशेष कृपा मिलती है. माना जाता है कि इस दिन किया गया उपवास और साधना बड़े से बड़े दुखों को दूर कर देती है और जीवन में सुख-समृद्धि लाती है.
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चंद्रमा की ऊर्जा क्यों होती है जरूरी?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण प्रकाश ऊर्जा के साथ पृथ्वी पर सकारात्मक तरंगें फैलाता है. चंद्रमा को मन का कारक ग्रह कहा गया है, इसलिए इस दिन की गई चंद्र पूजा मन को शांत करती है, तनाव दूर करती है और मानसिक स्थिरता प्रदान करती है. खासकर जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें इस दिन पूजा का विशेष लाभ मिलता है.
कैसे करें चंद्रमा की पूजा?
शास्त्रों में बताया गया है कि इस रात चंद्रमा को कच्चा दूध, गंगाजल या साफ जल से अर्घ्य देना अत्यंत शुभ होता है. इससे घर में सौभाग्य और शांति बढ़ती है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. पूर्णिमा की ऊर्जा दान-पुण्य के प्रभाव को भी कई गुना बढ़ा देती है.
मनोकामना सिद्धि का विशेष योग
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का सबसे बड़ा रहस्य माना जाता है—मनोकामना सिद्धि. मान्यता है कि शांत मन से चंद्रमा के दर्शन कर अपनी इच्छा का संकल्प लेने पर वह तेजी से पूर्ण होती है. यही कारण है कि भक्त इस दिन चंद्रमा की विशेष पूजा करते हैं और इसे सौभाग्य बढ़ाने वाली तिथि मानते हैं.


