Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या को पितरों की कृपा पाने के लिए किए गए साधन बेहद प्रभावी माने जाते हैं. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन पूर्वज धरती के करीब होते हैं और परिवार की सुख-समृद्धि को देखने आते हैं. ऐसे में अगर घर में बार-बार तनाव, आर्थिक रुकावटें, बीमारी, या काम में बाधा जैसी स्थितियां दिख रही हों, तो यह पितृ असंतोष का संकेत माना जाता है. इसलिए इस तिथि पर किया गया स्नान, दान, तर्पण और दीपदान न सिर्फ पितरों को शांति देता है बल्कि परिवार के लिए सौभाग्य और मानसिक सुकून भी लेकर आता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या का धार्मिक महत्व
मान्यता है कि जब पितृ प्रसन्न होते हैं तो घर में कलह, रुकावटें और आर्थिक परेशानियां कम होती हैं. वहीं, पितृ दोष के कारण अक्सर घर में मानसिक तनाव, कामों में बाधा और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बनी रहती हैं. इसलिए अमावस्या का दिन पितरों के लिए समर्पित कहा गया है, जब पूर्वजों की शांति के लिए विशेष कर्म करना शुभ माना जाता है.
पितरों को प्रसन्न करने के प्रमुख उपाय
पवित्र स्नान करें: अमावस्या की सुबह नदी में डुबकी लगाना शुभ माना जाता है. यदि नदी तक जाना संभव न हो, तो घर पर नहाने के पानी में कुछ बूंदें गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है.
तर्पण और पिंडदान: पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए तर्पण या पिंडदान किया जाता है. इसे आप नदी के किनारे या घर पर भी नियमपूर्वक कर सकते हैं.
दान और भोजन कराना: अन्न, कपड़े या धन का दान करना पितरों के लिए पुण्यदायी माना जाता है. ब्राह्मण या जरूरतमंदों को भोजन कराना भी अत्यंत शुभ फल देता है.
पीपल वृक्ष की पूजा: शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना और कुछ परिक्रमा करना पितरों को शांत करने का महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है.
पितृ स्तोत्र या चालीसा का पाठ: अमावस्या की रात पितृ चालीसा, पितृ स्तोत्र या “ॐ पितृदेवाय नमः” का जाप करना आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है और पूर्वजों की कृपा लाने में सहायक माना जाता है.
पशु-पक्षियों को भोजन दें: कौवों, गाय, कुत्तों या चींटियों को भोजन कराना भी पूर्वजों की आत्मा तक पुण्य पहुंचाने का एक तरीका बताया गया है. यह घर में नकारात्मकता को कम करता है.
पितृ दोष के संकेत क्या हो सकते हैं?
यदि घर में बिना किसी कारण विवाद हो रहे हों, बार-बार नुकसान हो रहा हो, शादी या संतान से जुड़े काम अटक रहे हों, या परिवार में स्वास्थ्य समस्याएं लगातार बनी रहें तो इसे पितृ दोष का परिणाम माना जाता है.
क्यों जरूरी है पितरों की शांति?
कहा जाता है कि जब पूर्वजों की आत्मा अशांत होती है, तो घर में छोटे-छोटे विवाद बढ़ने लगते हैं, काम अटक जाते हैं, और मन में बेचैनी बनी रहती है. वहीं जब पितृ संतुष्ट होते हैं, तो घर में पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है, परिस्थितियां आसानी से अनुकूल होती हैं और परिवार पर एक अदृश्य सुरक्षा बनी रहती है.
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