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Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर किए गए दान का मिलता है कई गुना फल, जानिए क्यों है ये दिन इतना खास

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या हिंदू पंचांग का एक अत्यंत शुभ दिन माना जाता है. इसे पितृ-तर्पण, पूजा-पाठ और दान के लिए बेहद पवित्र तिथि माना गया है. 20 नवंबर को ये अमावस्या मनाई जाएगी. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या पर दान का महत्व और क्या-क्या दान करना चाहिए.

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष मास स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रिय बताया गया है, इसलिए इस महीने की अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. इस दिन पूर्वजों की आत्मा को शांत करने और उनके आशीर्वाद के लिए लोग तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान सीधे पितरों तक पहुंचता है और उसका फल कई गुना होकर वापस मिलता है.

अन्नदान

कहा जाता है कि किसी भूखे को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य है. मार्गशीर्ष अमावस्या पर चावल, आटा, दाल और सब्जियों का अन्नदान करने से घर में खाने की कभी कमी नहीं होती.

वस्त्र दान

इस अमावस्या का समय ठंड के दिनों में आता है, इसलिए जरूरतमंदों को गर्म कपड़े, कंबल, स्वेटर आदि देने का बड़ा पुण्य माना गया है. इससे दुर्भाग्य और बाधाएँ दूर होती हैं.

तिल व तेल का दान

तिल, सरसों का तेल और तिल के लड्डू दान करना पितरों को प्रसन्न करने का उत्तम उपाय माना जाता है. यह दान घर के वातावरण को शांत और सकारात्मक बनाता है.

दीपदान

शाम के समय पीपल या तुलसी के पास दीपक जलाकर दान करने से घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. कहा जाता है कि यह दीपक पितृलोक तक प्रकाश पहुंचता है.

ब्राह्मण भोजन और गाय को हरा चारा

जो लोग पितृ कृपा और स्वास्थ्य-सुख चाहते हैं, वे इस दिन ब्राह्मण भोजन कराते हैं और गाय को हरा चारा या गुड़-चना खिलाते हैं. यह अत्यंत शुभ माना गया है.

क्यों है मार्गशीर्ष अमावस्या इतना खास?

मार्गशीर्ष अमावस्या इसलिए विशेष मानी जाती है क्योंकि यह वही तिथि है जब पितरों का आशीर्वाद सबसे आसानी से प्राप्त होता है. शास्त्रों में कहा गया है कि मार्गशीर्ष महीना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास है, इसलिए इस दिन किए गए कर्म विशेषकर तर्पण, दीपदान और अन्नदान सीधे पितृलोक तक पहुंचते हैं.

मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत का महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि देवताओं से पहले पितरों को खुश करना चाहिए. जैसे श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाती है, उसी तरह अगहन अमावस्या पर व्रत रखने से भी पितर प्रसन्न होते हैं. अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष हो, संतान सुख न मिल रहा हो, या भाग्य स्थान में राहू नीच का हो, तो इस अमावस्या का व्रत बहुत लाभ देता है. माना जाता है कि इस व्रत से पितर ही नहीं, बल्कि देवता, ऋषि और सभी जीव-जंतुओं की तृप्ति होती है.

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JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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