Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि 2025 का पर्व निकट है और इस वर्ष का उत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा. यह पावन अवसर 26 फरवरी को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार इसकी विशेषता इस तथ्य से बढ़ गई है कि 60 वर्षों के बाद एक दुर्लभ ग्रह संयोग उत्पन्न हो रहा है. ऐसा योग अंतिम बार 1965 में देखा गया था. इस बार महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनि करण और चंद्रमा मकर राशि में उपस्थित रहेंगे. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस समय सूर्य, बुध और शनि ग्रहों का एक अनोखा संयोग भी बनेगा.
इस दुर्लभ ग्रह संयोग का महत्व क्या है?
- ज्योतिष के अनुसार, सूर्य को पिता और शनि को पुत्र का प्रतीक माना जाता है. इस बार दोनों ग्रह शनि की राशि कुंभ में स्थित रहेंगे, जिससे एक शक्तिशाली और अद्वितीय योग का निर्माण होगा.
- ऐसा ग्रह संयोग दशकों में एक बार ही बनता है और इसे विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है.
- महाशिवरात्रि पर बनने वाला यह संयोग शिव भक्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है, जिससे शिव कृपा प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है.
महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व
महाशिवरात्रि के दिन, शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था. इस दिन उपवास, रात्रि जागरण और शिव पूजन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.
शिव की पूजा कैसे करें?
- महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करते हुए पूजा करनी चाहिए-
- शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए – जल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से अभिषेक करें.
- बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें – शिवजी को बिल्व पत्र अत्यंत प्रिय होते हैं.
- शिव मंत्रों का जाप करें – ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘महामृत्युंजय मंत्र’ या ‘शिव रुद्र मंत्र’ का जाप करें.
- रात्रि जागरण करें – रातभर भजन-कीर्तन और ध्यान करने से शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है.
- रुद्राभिषेक करें – यह पूजा भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय माना जाता है.
महाशिवरात्रि 2025 पूजा और व्रत के शुभ मुहूर्त
- महाशिवरात्रि 2025: पूजा और व्रत के शुभ मुहूर्त
- चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 26 फरवरी, सुबह 11:08 बजे
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – 27 फरवरी
महाशिवरात्रि के दिन, शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सम्पन्न हुआ था. इस दिन उपवास, रात्रि जागरण और शिव पूजन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.
शिव की पूजा कैसे करें?
इस महाशिवरात्रि पर आध्यात्मिक उन्नति का एक अनूठा अवसर उत्पन्न हो रहा है.
महाशिवरात्रि के अवसर पर बन रहा यह विशेष ग्रह योग भक्तों के लिए एक अनमोल अवसर है. इस दिन की गई शिव साधना, व्रत और ध्यान से न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि इच्छाएं भी पूरी होती हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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