Mahashivratri 2023: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग की पूजा (Shivling Puja) से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है. साथ ही दुःख, संकट और कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं, अविवाहितों की शादी के भी योग बनते हैं.
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि 2023 फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 पर शुरू हो रही है और अगले दिन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.
महाशिवरात्रि पर्व 2023
महाशिवरात्रि 4 प्रहर के शुभ मुहूर्त और मंत्र
18 फरवरी 2023
प्रथम प्रहर
शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 31 मिनट तक
मंत्र : 'ॐ ह्रीं ईशानाय नम:'
उपाय : शिवलिंग को दूध चढ़ाएं
द्वितीय प्रहर
रात्रि 9 बजकर 31 मिनट से अर्धरात्रि 12 बजकर 41 मिनट तक (19 फरवरी)
मंत्र : 'ॐ ह्रीं अघोराय नम:'
उपाय : शिवलिंग को दही चढ़ाएं
फल : संतान सुख और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है.
तृतीय प्रहर
अर्धरात्रि 12 बजकर 42 मिनट से प्रात: 3 बजकर 51 मिनट तक (19 फरवरी)
मंत्र : 'ॐ ह्रीं वामदेवाय नम:'
उपाय : शिवलिंग को घी चढ़ाएं
फल : धनलक्ष्मी आकर्षित होगी, नौकरी और कारोबार में तरक्की मिलेगी.
चतुर्थ प्रहर
प्रात: 3 बजकर 52 मिनट से सुबह 7 बज कर 1 मिनट तक
मंत्र : 'ॐ ह्रीं सद्योजाताय नमः:
उपाय : शिवलिंग को शहद चढ़ाएं
फल : अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.
पारण का शुभ मुहूर्त
यदि आप महाशिवरात्रि (शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर) में व्रत करते हैं तो आपके लिए इस व्रत का पारण करना भी जरूरी है. इस व्रत का पारण आप 19 फरवरी, रविवार के दिन कर सकते हैं.
महाशिवरात्रि व्रत का पारण मुहूर्त -19 फरवरी को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक रहेगा.
महाशिवरात्रि पूजा विधि
यदि आप महाशिवरात्रि का व्रत करते हैं तो एक दिन पहले से ही व्रत का पालन करें और तामसिक भोजन न करें.
चतुर्दशी तिथि यानी महाशिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर स्वच्छ कपड़े पहनें.
इस दिन यदि आप मंदिर में जाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं तो आपके लिए फलदायी होगा.
लेकिन आप घर में भी शिव पूजन कर सकते हैं. इसके लिए शिवलिंग को कच्चे दूध और जल से स्नान कराएं.
पूरे दिन व्रत का पालन करें और फलाहार ग्रहण करें.
माता पार्वती समेत शिव पूजन करें और घर में रुद्राभिषेक का आयोजन करें.
शिव मंत्रों का जापकरते हुए पूजन संपन्न करें और पूजन के बाद आरती जरूर करें.
इस दिन रात्रि के चार प्रहर पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए रात्रि में अवश्य पूजन करें.
अगले दिन व्रत का पारण किसी शिव मंदिर में जाकर करें.