Kumbh Mela: कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक बेहद पावन और विशाल आयोजन है, जिसकी भव्यता दुनिया भर में प्रसिद्ध है. यह मेला चार पवित्र स्थलों—हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक—पर समय-समय पर आयोजित किया जाता है. हालांकि इसके कई रूप होते हैं और हर रूप का अपना अलग महत्व है.
कुंभ मेला
कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है. इस दौरान लाखों-करोड़ों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पुण्य कमाते हैं. जगह बदलने के साथ मेले का स्वरूप भी बदलता है, लेकिन श्रद्धा और आस्था हर जगह समान रहती है.
अर्ध कुंभ मेला
कुंभ के बीच में यानी हर 6 साल पर अर्ध कुंभ आयोजित किया जाता है. यह भी उन्हीं चार स्थानों पर लगता है, जहां मुख्य कुंभ मेला होता है. इसे भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है और बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं.
पूर्ण कुंभ मेला
जब सूर्य और बृहस्पति (गुरु) ग्रह कुंभ राशि में आते हैं, तब पूर्ण कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. यह भी हर 12 वर्ष में आता है और इसे खास ज्योतिषीय महत्व प्राप्त है.
महा कुंभ मेला
महा कुंभ मेला सबसे दुर्लभ और सबसे विशाल आयोजन माना जाता है. यह 144 साल में सिर्फ एक बार लगता है. इसमें सूर्य, बृहस्पति और चंद्रमा सभी कुंभ राशि में स्थित होते हैं. श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है और यह आयोजन ऐतिहासिक बन जाता है.
आगामी महाकुंभ की जानकारी
प्रयागराज में 2025 में लगने वाले महाकुंभ के बाद अगला महाकुंभ 2169 में पड़ेगा, यानी यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दुर्लभ मौका होगा. हालांकि, अगला साधारण कुंभ मेला 2027 में नासिक में लगेगा. ज्योतिषियों और धर्मगुरुओं ने इसकी संभावित तिथियां भी बता दी हैं—17 जुलाई 2027 से 17 अगस्त 2027 के बीच.
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कुंभ की तिथियां पूरी तरह ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित होती हैं, जिसमें सूर्य और गुरु ग्रहों की स्थिति अहम भूमिका निभाती है. इसलिए हर आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद विशेष माना जाता है.

