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Kartik Purnima 2025: आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान क्यों माना जाता है खास? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Kartik Purnima 2025: क्या आप जानते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा का स्नान इतना खास क्यों माना जाता है? हर साल इस दिन लाखों श्रद्धालु सुबह-सुबह पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं. आइए जानते हैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व.

Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा केवल एक धार्मिक तिथि नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आस्था का पर्व है. यह हमें सिखाती है कि जब हम तन और मन दोनों को पवित्र रखते हैं, तभी सच्चे अर्थों में जीवन के अंधकार मिटते हैं.

धार्मिक मान्यता

हिंदू धर्म के अनुसार, कार्तिक मास का महीना भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए सबसे शुभ माना गया है.

पुराणों में उल्लेख है कि जो व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा की सुबह गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करता है, उसे जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है.

यह दिन त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. इस विजय के प्रतीक रूप में देवताओं ने गंगा में दीप प्रवाहित किए थे.

स्नान का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि कार्तिक पूर्णिमा का स्नान वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभदायक है.

इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण ऊर्जा पर होता है और जल तत्व में सकारात्मक कंपन उत्पन्न करता है. सुबह के समय किया गया स्नान शरीर से नकारात्मक ऊर्जा, तनाव और थकान को दूर करता है.

धार्मिक रूप से यह माना गया है कि जल में डुबकी लगाने से मन, वचन और कर्म — तीनों की शुद्धि होती है.

दान और दीपदान का महत्व

स्नान के बाद दान और दीपदान करना इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है.

कहा जाता है कि गंगा में या किसी पवित्र जल में दीप प्रवाहित करने से देवता प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है.

विष्णु पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जीवन के सभी कष्ट धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं.

परंपरा आज भी जीवित है

आज भी वाराणसी, हरिद्वार, गया, प्रयागराज और पुष्कर जैसे तीर्थस्थलों पर लाखों लोग कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए उमड़ते हैं.

कई श्रद्धालु पूरे कार्तिक महीने तक स्नान-दान की परंपरा निभाते हैं और पूर्णिमा के दिन इसे पूर्ण करते हैं.

क्या कार्तिक पूर्णिमा पर घर पर भी स्नान किया जा सकता है?

हां, अगर आप किसी पवित्र नदी या घाट तक नहीं जा सकते, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. यह भी उतना ही फलदायी माना गया है.

इस दिन किस देवता की पूजा करनी चाहिए?

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, शिव, और माँ गंगा — तीनों की पूजा का विधान है.
कुछ स्थानों पर भगवान कार्तिकेय की भी विशेष पूजा की जाती है.

स्नान के बाद क्या दान करना चाहिए?

स्नान के बाद दीपदान, अन्न, कपड़ा, और सोना-चांदी जैसे वस्त्र या धन का दान करना शुभ माना जाता है.
विशेष रूप से दीपदान को मोक्ष प्रदान करने वाला कहा गया है.

ये भी पढ़ें: Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करें और क्या नहीं? जानिए इस दिन के नियम और महत्व

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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