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Kajari Teej 2025: कजली गीत, जब लोकगीत बनते हैं साधना का माध्यम

Kajari Teej 2025: कजरी तीज के अवसर पर महिलाएं पारंपरिक कजली गीत गाती हैं, जो केवल लोकसंस्कृति नहीं बल्कि आध्यात्मिक भावनाओं से भी जुड़ा होता है. इन गीतों में प्रकृति, प्रेम और प्रतीक्षा की गूंज होती है. आइए जानें इन कजरी गीतों के पीछे छिपा धार्मिक और भावनात्मक रहस्य.

Kajari Teej 2025: कजरी तीज, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. यह दिन विशेष रूप से विवाहित और कुंवारी महिलाओं के लिए सौभाग्य और प्रेम की कामना का पर्व है. इस दिन महिलाएं न केवल व्रत रखती हैं, बल्कि झूला झूलते हुए कजली गीत भी गाती हैं.

इन गीतों की खास बात यह है कि इनमें नारी जीवन, पति के प्रति प्रेम, विरह की वेदना और प्रकृति के रंगों का जीवंत चित्रण होता है. परंपरा के अनुसार, यह माना जाता है कि इन गीतों के माध्यम से महिलाएं देवी पार्वती से अपने सुहाग की रक्षा और अखंड सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं.

इस दिन मनाई जाएगी कजरी तीज, देखें यहां डेट और शुभ मुहूर्त

कजरी गीतों में भक्ति, लोकसंस्कृति और आध्यात्मिक भावनाओं का सुंदर संगम होता है. इन गीतों के सुरों में न केवल संगीत होता है, बल्कि एक गूढ़ संवाद भी छिपा होता है—ईश्वर, प्रकृति और नारी के जीवन से जुड़ा हुआ. इन गीतों का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामूहिक रूप से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करना भी होता है. यह एक ऐसी सांस्कृतिक विधा है, जिसमें गीत गाना अपने आप में एक साधना बन जाता है.

कब है कजरी तीज

वेदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 11 अगस्त 2025 को सुबह 10:33 बजे से होगी, और इसका समापन 12 अगस्त की सुबह 8:40 बजे होगा. इसी के आधार पर कजरी तीज का पावन पर्व 12 अगस्त 2025 को पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा.

इन राज्यों में मनाया जाता है ये त्योहार

यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के कई राज्यों—जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में विशेष रूप से मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती से अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं.

कजरी तीज पर फलदायी

कजरी तीज 2025 के शुभ योग भी इस पर्व को और अधिक फलदायी बना रहे हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग संपूर्ण रात्रि तक रहेगा, जो कि सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला अत्यंत शुभ योग माना जाता है. इसके साथ ही शिववास योग और सुक्रम योग का भी संयोग बन रहा है, जो व्रत और पूजा के पुण्यफल को और अधिक बढ़ा देते हैं. इन विशेष योगों में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से साधक को न केवल व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है, बल्कि वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और समर्पण भी बना रहता है.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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