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International Yoga Day 2025: योग बनता है आध्यात्मिक एकता का माध्यम

International Yoga Day 2025: इस योग दिवस पर हम योग की उस गहराई को समझते हैं जो केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि साधना का मार्ग है. यह साधना अंततः हमें शांति की ओर ले जाती है और वही शांति हमें शिवत्व यानी दिव्यता की अनुभूति कराती है. यही योग का परम उद्देश्य है.

लेखिका- डॉ. (श्रीमती) मंजु लता गुप्ता

International Yoga Day 2025: “सृष्टि के आरंभ में तथा मनुष्य के आगमन के समय अनंत परमात्मा ने अपनी प्रज्ञाशील सृजनात्मक ब्रह्माडीय ऊर्जा को मात्र विकर्षण …से ही नहीं अपितु उस शक्ति से भी परिपूर्ण किया जिसके द्वारा संसार में इधर-उधर भटकती आत्माएँ वापिस आकर ब्रह्म अर्थात ईश्वर से एक हो सकें.” योग के अवतार कहे जाने वाले उच्चकोटि के ऋषि परमहंस योगानन्दजी ने अपनी भगवद्गीता पर टीका ‘ईश्वर-अर्जुन संवाद’ में इन सुंदर शब्दों को अंकित किया है. उनका कहना है कि योग के विज्ञान को कभी भी नष्ट नहीं किया जा सकता क्योंकि यह मनुष्य के भीतर के परमसत्य से जुड़ा है.

वृत्तियों का सर्वथा रुक जाना योग है

जब अवरोहण करती आत्मा मन के प्रभाव में आती है, साधारणतया यह मानवी चेतना से एकरूप होकर सीमित हो जाती है. यह मन, पंचेंद्रियों से प्रभावित हो अपने लिए ही नहीं अन्यों के लिए भी चुनौतियाँ एवम समस्याएं पैदा कर संसार में उथल-पुथल का कारण बनता है. फिर शांति और सुख की लालसा से वह पुनः अपने अंतर में विद्यमान एकत्त्व की शक्ति से अंततः ब्रह्म में आरोहण करता है—यही योग है. महान् ऋषि पतंजली के अनुसार—योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः अर्थात चित्त अथवा अंतःकरण की वृत्तियों का सर्वथा रुक जाना योग है.

भारतवर्ष की धरोहर योग-विज्ञान

मन के अति द्रुतगामी वेग को रोकना सरल नहीं तो असंभव भी नहीं है. परंतु इसके लिए हमें कुछ विशिष्ट योग की प्रविधियों की आवश्यकता होती है. सचमुच भारतवर्ष की धरोहर योग-विज्ञान, जो संपूर्ण संसार के लिए एक उपहार है; को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसकी महत्ता को समझते हुए 2015 में, 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में संघोषित करके संपूर्ण मानवजाति का कल्याण किया है.

योग के जनक परमहंस योगानन्द

पश्चिम में ‘योग के जनक’ कहे जाने वाले परमहंस योगानन्द जिन्होंने अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण 30 वर्ष से भी अधिक पश्चिम में बिताए तथा भारत में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इण्डिया और अमेरिका में सेल्फ-रियलाईजेशन फेलोशिप की स्थापना करके ध्यान के क्रियायोग विज्ञान, जो योग की एक उन्नत और विशिष्ट शैली है, की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करके एक सेतु बना दिया जो इच्छुक लोगों को दुख और चिंताओं की दल-दल से पार लगाने का आश्वासन प्रदान करता है.

योगानन्दजी, अपनी पुस्तक ‘योगी कथामृत’, जिसे मन और आत्मा के द्वार खोलने वाली पुस्तक माना जाता है, के 26वें अध्याय में क्रियायोग का अर्थ बताते हैं – “‘एक विशिष्ट कर्म या विधि (क्रिया) द्वारा अनंत परमतत्त्व के साथ मिलन (योग).’ इस विधि का निष्ठापूर्वक अभ्यास करने वाला योगी धीरे-धीरे, कर्म-बंधन से या कार्य-कारण संतुलन की नियमबद्ध शृंखला से मुक्त हो जाता है.”

यह महान् योग प्रविधि संसार का त्याग करने वाले संन्यासियों के लिए ही नहीं अपितु मृत्युंजय बाबाजी और उनके शिष्य लाहिडी महाशय के अनुग्रह से सभी योग के इच्छुक लोगों के लिए भी उपलब्ध है. इस महान् परिवर्तनकारी योग को सीखने हेतु पाठकगण योगदा सत्संग सोसाइटी की वेबसाइट yssi.org पर जा सकते हैं, जो एक ऐसा द्वार है जहाँ से गृह-अध्ययन की पाठमाला प्राप्त कर, योग की इस वैज्ञानिक प्रविधि को सरलता से सीख सकते हैं. पाठमाला के लिए नामांकन करवाकर मूल प्रविधियों का कुछ समय अभ्यास करके इस मानव देह को, जिसकी क्षमता 50 वाट के बल्ब जितनी है, क्रियायोग के अभ्यास से उत्पन्न करोड़ों वाट की शक्ति को सहन करने योग्य बनाया जाता है. आइए इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर हम स्वयं के कल्याण हेतु क्रियायोगी बनें और अपने शरीर और मन को उस महाप्राणशक्ति, जो संपूर्ण सृष्टि का आधार है, की अनन्त संभावनाओं को व्यक्त करने के योग्य बनाएं.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
A journalist with over 14 years of experience in print and digital media, specializing in the Religion and Astrology section. Additionally, involved in creating content on Palmistry, Zodiac Traits. Also worked for Entertainment, Life Style and Education Section.

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