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Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज का व्रत रखने से मिलती है पति को लंबी उम्र और वैवाहिक सुख

Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. यह व्रत स्त्री शक्ति, भक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख-शांति और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है.

Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. यह पर्व स्त्री शक्ति, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. महिलाएं विशेष उत्साह और श्रद्धा के साथ इस व्रत को करती हैं. हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना कर निर्जला व्रत का पालन करती हैं. विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना करती हैं.

हरतालिका तीज का नाम कैसे पड़ा

‘हरतालिका’ शब्द दो शब्दों ‘हरत’ और ‘आलिका’ से मिलकर बना है. ‘हरत’ का अर्थ है अपहरण और ‘आलिका’ का अर्थ है सहेली. मान्यता है कि जब हिमवान (पार्वती जी के पिता) ने उनकी इच्छा के विरुद्ध विष्णु जी से विवाह तय किया, तो पार्वती जी की सहेलियां उन्हें जंगल में ले गईं और वहीं छिपा दिया. इस घटना के कारण इस व्रत का नाम ‘हरतालिका’ पड़ा.

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हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि

  • यह व्रत अत्यंत कठिन माना जाता है क्योंकि महिलाएं 24 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं.
  • व्रत की शुरुआत प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण कर की जाती है.
  • इस दिन मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाएं बनाकर उनकी पूजा की जाती है.
  • महिलाएं दिनभर व्रत कथा सुनती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और रात्रि में जागरण करती हैं.
  • विवाहित महिलाएं माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करती हैं और शिवजी को वस्त्र व पूजा सामग्री चढ़ाती हैं.

हरतालिका तीज 2025 की तिथि व मुहूर्त

  • तारीख: 26 अगस्त 2025, मंगलवार
  • तृतीया तिथि प्रारंभ: 25 अगस्त 2025, दोपहर 12:34 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त: 26 अगस्त 2025, दोपहर 1:54 बजे
  • इस अनुसार व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा.

हरतालिका तीज का महत्व

यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतीक है. मान्यता है कि इस दिन किया गया व्रत और पूजा से दांपत्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की मधुरता के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है. अविवाहित कन्याओं को यह व्रत मनचाहा वर प्रदान करता है.

जन्मकुंडली, वास्तु एवं व्रत-त्योहार से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करें:

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594 / 9545290847

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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