Govardhan Maharaj Ki Aarti: गोवर्धन पूजा प्रकृति के सम्मान और आभार व्यक्त करने वाला एक विशेष पर्व है. इस दिन गोबर से बने पर्वत, जो भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप माने जाते हैं, उनकी आराधना की जाती है. पूजा-पाठ और भोग अर्पण के बाद गोवर्धन महाराज को समर्पित आरती का पाठ करने का विशेष महत्व होता है. यहां गोवर्धन महाराज की आरती के लिरिक्स को प्रस्तुत किए गए हैं.
गोवर्धन महाराज की आरती (Govardhan Maharaj Ki Aarti)
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े, तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ॥
तेरी सात कोस की परिक्रमा,
और चकलेश्वर विश्राम।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ॥
तेरे गले में कंठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ॥
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ॥
गिरिराज धरन प्रभु तेरी शरण,
करो भक्त का बेड़ा पार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ॥
गोवर्धन पूजा के दिन किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?
मंत्र:
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव॥
गोवर्धन पूजा की शुरुआत कब से मानी जाती है?
माना जाता है कि गोवर्धन पूजा की शुरुआत द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के समय से हुई थी.
गोवर्धन पूजा के दिन लोग किस चीज का पर्वत बनाते हैं?
गोवर्धन पूजा के दिन लोग गोबर का पर्वत बनाते हैं.
गोवर्धन पूजा के दिन कितने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है?
गोवर्धन पूजा के दिन 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाना शुभ माना जाता है.
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