Garud Puran: हिंदू शास्त्रों में पत्नी को “वामांगी” कहा गया है, जिसका मतलब होता है पति के बाएं अंग की अधिकारिणी. माना जाता है कि पुरुष के शरीर का बायां हिस्सा स्त्री का प्रतीक है. यह विचार भगवान शिव के अर्धनारीश्वर रूप से लिया गया है, जिसमें शिव के शरीर का बायां भाग पार्वती का है. इससे यह स्पष्ट होता है कि स्त्री पुरुष का अभिन्न हिस्सा है. हस्तरेखा विज्ञान में भी कहा गया है कि पुरुष की दाईं हथेली उसके जीवन के संकेत दिखाती है और बाईं हथेली उसकी पत्नी या जीवनसंगिनी के बारे में जानकारी देती है. यानी प्रकृति भी स्त्री को पुरुष की “वामांगी” ही बताती है.
कुछ कामों में पत्नी को पति के बाईं तरफ रहना चाहिए
शास्त्रों में कहा गया है कि पत्नी को कुछ कामों में पति के बाईं तरफ रहना चाहिए—जैसे सोते समय, पूजा में, आशीर्वाद लेते समय, भोजन करते हुए और सिंदूरदान के समय. इन स्थितियों में बाईं ओर बैठना शुभ माना गया है और इससे दांपत्य जीवन में सौभाग्य बढ़ता है.
कुछ नियमों में पत्नी को पति के दाईं ओर बैठने का नियम
लेकिन कुछ विशेष कामों में पत्नी को पति के दाईं ओर बैठने का नियम है. जैसे—कन्यादान, यज्ञ, विवाह, नामकरण, अन्नप्राशन आदि. इसका कारण यह है कि ये सभी कर्म पारलौकिक और पुरुष प्रधान माने जाते हैं, इसलिए पत्नी दाईं तरफ रहती है. वहीं, गृहस्थी और दैनिक जीवन के काम स्त्री प्रधान माने जाते हैं, इसलिए उनमें वह पति के बाईं ओर रहती है.
पत्नी को केवल “वामांगी” ही नहीं, बल्कि पति के जीवन का पूरा आधा हिस्सा माना गया है. पत्नी घर की लक्ष्मी है, घर को संभालने वाली, वातावरण को शांत और खुशहाल बनाने वाली और परिवार की नींव होती है. महाभारत में भी भीष्म पितामह ने कहा है कि पत्नी को प्रसन्न रखना चाहिए, क्योंकि वही घर में खुशियां और समृद्धि लाती है.
गरुड़ पुराण में भी पत्नी के गुणों का बहुत सुंदर वर्णन मिलता है. उसमें कहा गया है कि जिस स्त्री में ये गुण हों, वह पति के लिए सौभाग्य का कारण बनती है—
गृहकार्य में दक्ष
पति-पत्नी दोनों के लिए घर एक जिम्मेदारी है, लेकिन घर की व्यवस्था संभालने में पत्नी की भूमिका अहम होती है. एक गुणी पत्नी वही है जो भोजन बनाना, सफाई, सजावट, जरूरतों का ख्याल रखना जैसे काम सहजता से निभाए.
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प्रियवादिनी — मीठा बोलने वाली
जो स्त्री संयमित भाषा में, प्रेम से और सम्मान के साथ बात करे, वह घर में कभी कलह नहीं आने देती. ऐसी पत्नी को घर का सौभाग्य माना जाता है.
पति-परायणता और परिवार के प्रति समर्पण
शादी के बाद नए रिश्तों को अपनाना, घर के सभी सदस्यों की भावनाओं को समझना और परिवार की भलाई के बारे में सोचना स्त्री का पहला धर्म माना गया है. गरुड़ पुराण कहता है कि जो पत्नी अपने पति और परिवार के हित में सोचती है, वही सच्चे अर्थों में श्रेष्ठ पत्नी है. अंत में, शास्त्रों के अनुसार पत्नी वह है जो पति के जीवन को पूरा करती है, उसकी हर खुशी और दुख में साथ देती है और परिवार को आगे बढ़ाती है. इसीलिए उसे “वामांगी”—अर्थात् पति का बायां और सबसे प्रिय अंग—कहा गया है.

