Ekadashi Vrat Benefits: धार्मिक मान्यता है कि एकादशी का व्रत इंसान के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष कृपा मानी जाती है और उपवास करने से मन, शरीर और आत्मा में संतुलन बना रहता है. यही वजह है कि एकादशी को केवल पूजा-पाठ का दिन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर माना जाता है.
धार्मिक लाभ
पापों का नाश होता है: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत पुराने पापों को मिटाने वाला माना गया है. यह व्यक्ति के जीवन में नई शुरुआत का अवसर देता है.
मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है: कहा जाता है कि एकादशी रखने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ने में सहायता मिलती है. साथ ही पूर्वजों की आत्मा को भी शांति और मुक्ति मिलने की मान्यता है.
सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि बढ़ती है: इस व्रत को करने से घर में शुभता और समृद्धि का वातावरण बनता है. माना जाता है कि भगवान विष्णु की कृपा से धन और सुख के मार्ग खुलते हैं.
विशाल धार्मिक पुण्य की प्राप्ति: शास्त्रों में बताया गया है कि एकादशी का व्रत करने से तीर्थयात्राओं जितना पुण्य मिलता है. इसे अत्यंत फलदायी और शुभ कार्यों के समान माना गया है.
मन को शांति और स्थिरता: उपवास और पूजा के कारण मन शांत होता है. यह तनाव कम करता है और इंसान को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है.
स्वास्थ्य लाभ
पाचन शक्ति को आराम मिलता है: उपवास के कारण शरीर को भारी भोजन से विराम मिलता है, जिससे पाचन बेहतर होता है और पेट हल्का महसूस होता है.
शरीर की सफाई होती है: इस व्रत के दौरान हल्का भोजन या फलाहार लेने से शरीर में जमा टॉक्सिन निकलने में मदद मिलती है, जिसे प्राकृतिक डिटॉक्स माना जाता है.
मेटाबोलिज़्म को संतुलित करता है: उपवास रखने से शरीर की क्रियाशीलता बेहतर होती है और चयापचय यानी मेटाबोलिज़्म में सुधार आता है.
मानसिक एकाग्रता बढ़ती है: जब भोजन कम लिया जाता है, तो मन ज्यादा शांत और केंद्रित रहता है. इससे सोच साफ होती है और मानसिक तनाव घटता है.
शरीर के दोषों का संतुलन: आयुर्वेद के अनुसार, एकादशी का उपवास विशेष रूप से कफ और पित्त को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे शरीर हल्का और ऊर्जावान महसूस होता है.
साल में कितनी बार आती है एकादशी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं. लेकिन जब अधिक मास (अधिमास/पुरुषोत्तम मास) लगता है, तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. हर एकादशी की अपनी अलग महत्व और पूजा-विधि होती है, लेकिन सभी का मूल उद्देश्य आत्मसंयम, भक्ति और शुद्धता को बढ़ावा देना है.
एकादशी का व्रत क्यों माना जाता है इतना पवित्र?
शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी का दिन स्वयं भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. इस तिथि पर उपवास, दान और भक्ति करने से व्यक्ति के जीवन में शुभता बढ़ती है. यह व्रत न सिर्फ आध्यात्मिक स्तर पर बल देता है, बल्कि मन में अनुशासन और संयम की भावना भी पैदा करता है. इसलिए इसे सदियों से सबसे पवित्र उपवासों में गिना जाता है.
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