Utpanna Ekadashi 2025: आज के दिन किए गए मंत्र जाप का महत्व शास्त्रों में विशेष रूप से बताया गया है. माना जाता है कि उत्पन्ना एकादशी पर साधक द्वारा किया गया हर मंत्र उच्चारण कई गुना फल देता है. इसी कारण भक्त सुबह से ही भगवान विष्णु की आराधना में लीन हो जाते हैं और योगमाया के जन्मोत्सव को श्रद्धा के साथ मनाते हैं.
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर एकादशी का जन्म हुआ था. भगवान कृष्ण की बहन मानी जाने वाली योगमाया को शक्ति और सुरक्षा की देवी कहा गया है. इसलिए यह एकादशी न सिर्फ विष्णु भक्तों के लिए बल्कि शक्ति उपासकों के लिए भी बेहद खास मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दिन मंत्रोच्चारण करने से मन शांत होता है और जीवन से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं.
कैसे करें पूजा और मंत्र जाप
आज सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाएं. पीले पुष्प चढ़ाएं और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद नीचे दिए गए मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें. पूजा के बाद पूरे दिन सात्त्विक भोजन का पालन करें और रात में जागरण कर भगवान के नाम का स्मरण करें.
विष्णु मूल मंत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
एकादशी विशेष मंत्र
“ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।”
नारायण कवच से यह श्लोक
“ॐ नमो नारायणाय”
माना जाता है कि इन मंत्रों के जाप से जीवन की कठिनाइयां कम होती हैं और परिवार पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.
व्रत रखने का लाभ
शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग खुलता है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूरी भक्ति से इस व्रत का पालन करता है, उसके जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और मन की शांति बढ़ती है. यह तिथि अध्यात्म के लिए बेहद पवित्र मानी गई है.
बन रहे हैं ये दुर्लभ संयोग
इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, वैधृति योग और जयद् योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है. यह इस साल की 23वीं एकादशी है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों को भी मोक्ष प्राप्त होता है.
उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त
इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर 2025, शनिवार को मनाई जा रही है.
एकादशी तिथि शुरू: 15 नवंबर, रात 12:49 बजे
समाप्ति: 16 नवंबर, रात 2:37 बजे
द्वादशी तिथि के दिन यानी अगले दिन सुबह व्रत पारण (समापन) किया जाएगा.
उत्पन्ना एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन झूठ बोलना, क्रोध करना और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए.
क्या इस दिन केवल मंत्र जाप ही पर्याप्त है?
हां, यदि व्रत संभव न हो तो केवल मंत्र जाप और पूजा से भी शुभ फल मिलता है.
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