Dussehra 2025: दशहरा 2025 पर रावण का वध सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत नहीं है, बल्कि यह हमारे अंदर छुपे अहंकार, लालच, मोह और नकारात्मक भावनाओं को पहचान कर उनसे पार पाने का संदेश भी देता है. रावण के 10 सिर केवल शक्ति का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे जीवन के गहरे रहस्यों और सीखों का दर्पण हैं. हर सिर हमें यह याद दिलाता है कि अगर हम अपने मन और कर्मों को संतुलित रखें, तो हम सच्ची सफलता, शांति और आत्म-सुधार की राह पा सकते हैं. दशहरे का असली अर्थ यही है – अच्छाई की विजय और आत्म-जागरूकता.
रावण के 10 सिरों के पीछे छुपे हैं जीवन के बड़े सबक
1. वासना (इच्छाएं)
वासना हमारे मन और जीवन में असीमित इच्छाओं का प्रतीक है. जब हम अपनी इच्छाओं पर काबू नहीं रखते, तो यह हमारे निर्णय और कर्मों को प्रभावित करती हैं. दशहरे का संदेश यही है कि वासना पर काबू पाने से मन की शांति और संतुलन प्राप्त होता है.
2. क्रोध (गुस्सा)
क्रोध हमारे भीतर का वह भाव है जो विवेक को ढककर हमें अशांति की ओर ले जाता है. रावण का दूसरा सिर हमें यह सिखाता है कि बिना सोच-समझ के गुस्से में किए गए कार्य अक्सर विनाशकारी होते हैं.
3. मोह (मोह, आसक्ति)
मोह और आसक्ति हमें भौतिक या भावनात्मक वस्तुओं से जोड़कर मानसिक उलझन पैदा करते हैं. रावण का यह सिर हमें चेतावनी देता है कि अगर हम वस्तुओं या लोगों के पीछे अंधाधुंध लगाव रखें, तो यह हमारे विकास में बाधक बन सकता है.
4. मद (घमंड)
घमंड और आत्ममुग्धता इंसान को अपनी वास्तविकता से दूर कर देते हैं. रावण का यह सिर यह याद दिलाता है कि अहंकार जीवन में गिरावट का कारण बन सकता है. विनम्रता ही सच्ची महानता है.
5. मत्सर (ईर्ष्या)
ईर्ष्या दूसरों की सफलता को देखकर अपने आप को कमतर समझने का भाव है. रावण का यह सिर हमें बताता है कि मत्सर और तुलना से मन अशांत रहता है और रिश्ते भी बिगड़ सकते हैं.
6. लोभ (लालच)
लालच हमारे मन की शुद्धता और संतोष को खो देता है. रावण के इस सिर का संदेश है कि लोभ में फंसने से इंसान अपने नैतिक मूल्यों और जीवन के उद्देश्य से भटक जाता है.
7. अहंकार (घमंड, श्रेष्ठता की भावना)
अहंकार हमें श्रेष्ठ समझकर दूसरों के विचारों और भावनाओं को अनदेखा करने की प्रवृत्ति देता है. रावण का यह सिर यह सिखाता है कि अहंकार से व्यक्ति का पतन निश्चित है, और विनम्रता ही स्थायी सफलता की चाबी है.
8. आलस्य (सुस्ती)
सुस्ती और आलस्य हमारे कार्य और जीवन में प्रगति को रोकते हैं. रावण का यह सिर हमें याद दिलाता है कि समय की कद्र और मेहनत ही सफलता की राह खोलती है.
9. अन्याय (अन्याय)
अन्याय और अधर्म समाज और व्यक्ति दोनों को हानि पहुंचाते हैं. रावण का यह सिर हमें यह शिक्षा देता है कि न्याय और धर्म के मार्ग पर चलना जीवन को स्थिर बनाता है.
10. अज्ञान (अज्ञानता, ईर्ष्या)
अज्ञानता मनुष्य को सही और गलत में फर्क नहीं समझने देती. रावण का अंतिम सिर यह संदेश देता है कि ज्ञान और समझदारी ही बुराई पर विजय का रास्ता दिखाती है.
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