Durga Puja 2025: दशमी के दिन सिंदूर खेला की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर विदा करती हैं. पूजा के अंतिम दिन बंगाली समाज धुनुची नृत्य कर माता को प्रसन्न करता है. दुर्गा पूजा हिंदुओं का एक प्रमुख और खास त्योहार है, जिसे शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय की याद में मनाया जाता है. दुर्गा उत्सव केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में फेमस है. नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा और आराधना की जाती है. हालांकि देशभर में दुर्गा पूजा का उत्साह देखने को मिलता है, लेकिन पश्चिम बंगाल का नजारा सबसे अलग और भव्य होता है. खासकर कोलकाता, जिसे “सिटी ऑफ जॉय” कहा जाता है, वहां की दुर्गा पूजा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फेमस है.
सिंदूर खेला की अनोखी परंपरा
बंगाल में दुर्गा पूजा का उत्सव बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. विशाल पंडालों, आकर्षक सजावट और अद्भुत भव्यता को देखने के लिए दूर-दराज़ से लोग यहां आते हैं. इस पूजा की खास पहचान है सिंदूर खेला, जिसे विजयादशमी के दिन महिलाएं निभाती हैं. इस परंपरा का अपना अलग महत्व है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि सिंदूर खेला की शुरुआत कब और क्यों हुई थी.
सिंदूर खेला का है खास महत्व
दुर्गा पूजा के आखिरी दिन, जब मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है, उसी दिन बंगाल में सिंदूर खेला मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की मांग में सिंदूर भरकर उन्हें विदा करती हैं और एक-दूसरे को भी सिंदूर लगाती हैं. यह रस्म केवल आज की नहीं बल्कि सदियों पुरानी परंपरा है. कहा जाता है कि लगभग 450 साल पहले बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में इसकी शुरुआत हुई थी. तब महिलाएं विसर्जन से पहले मां दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं का श्रृंगार करती थीं, मिठाई का भोग लगाती थीं और फिर सिंदूर से अपनी व दूसरी विवाहित महिलाओं की मांग सजाती थीं. मान्यता है कि इस विधि से देवी प्रसन्न होती हैं और सौभाग्य तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
ऐसे होता है सिंदूर खेला
विजयादशमी के दिन मां दुर्गा को सुहागिन महिलाएं पान के पत्ते से सिंदूर चढ़ाती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. इसके बाद वे एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर इस परंपरा को पूरे उत्साह से निभाती हैं. मां दुर्गा की मांग भरने, मिठाई खिलाने और विदाई देने के साथ यह रस्म पूरी होती है. इस दिन महिलाएं आपस में सिंदूर खेलकर सुखी वैवाहिक जीवन और सौभाग्य की कामना करती हैं. सिंदूर जहां विवाहित महिलाओं का प्रतीक है, वहीं यह परंपरा प्रेम, आशीर्वाद और मंगलकामना का संदेश भी देती है.
पुरे भारत में खास है बंगाल की नवरात्रि
नवरात्रि पूरे भारत और विश्वभर में धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन इसकी सबसे खास नजारा बंगाल में दिखाई देती है. यहां की दुर्गा पूजा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और परंपराओं का अद्भुत संगम भी है. भव्य पंडाल, सुंदर प्रतिमाएं, ढाक की धुन और सिंदूर खेला जैसी अनोखी रस्में बंगाल की दुर्गा पूजा को पूरी दुनिया में खास पहचान दिलाती हैं.
ये भी पढ़े: दुर्गा जी की आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय अम्बे गौरी… इस शारदीय नवरात्रि यहां से पढ़ें

