Chhath Puja 2026 Date: छठ पूजा के अंतिम दिन व्रती परिवार सहित नदी या तालाब किनारे खड़े होकर सूर्योदय के वक्त जल अर्पित करते हैं. इसे उषा अर्घ्य कहा जाता है. सूर्यदेव को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है, इसलिए इस पूजा का बड़ा महत्व है.
आज पारण के साथ छठ पूजा का समापन
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों का उपवास टूटता है. इसे पारण कहा जाता है. इस क्षण को परिवार और समाज के बीच नया उत्साह और आशीर्वाद का संकेत माना जाता है.
हर बिहारी को रहता है इंतजार
छठ ऐसा पर्व है जिसका इंतजार हर बिहारी पूरे साल करता है. चाहे लोग देश-विदेश में कहीं भी हों, छठ आने पर सभी अपने घर लौटने की कोशिश करते हैं. घाटों की सफाई, घरों में पवित्रता और हर तरफ भक्ति का माहौल इस पर्व को खास बना देता है. यही वजह है कि छठ को बिहार की पहचान और आस्था की सबसे बड़ी शक्ति माना जाता है.
2026 में कब है छठ पूजा?
- 13 नवंबर, शुक्रवार: नहाय-खाय के साथ पर्व की शुरुआत
- 14 नवंबर, शनिवार: खरना और घर-घर में प्रसाद का आयोजन
- 15 नवंबर, रविवार: संध्या अर्घ्य और छठ का मुख्य अनुष्ठान
- 16 नवंबर, सोमवार: उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत का पारण
छठ पूजा में क्या नियम होते हैं?
शुद्धता, सात्त्विक भोजन, व्रत, और मन में आस्था रखना जरूरी होता है. व्रती साधारण व सादे कपड़े पहनते हैं.
छठ पूजा कहाँ अधिक श्रद्धा के साथ मनाई जाती है?
बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह पर्व काफी भव्यता और आस्था के साथ मनाया जाता है.

