Advertisement
23 एकादशियों का पुण्य व जेठ की एकादशी
29 को निजर्ला एकादशी ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किये व्रत करने का विधान है. इस बार यह एकादशी 29 मई शुक्रवार को है. निर्जला एकादशी का व्रत विधान इस प्रकार है – निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से […]
29 को निजर्ला एकादशी
ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन बिना अन्न-जल ग्रहण किये व्रत करने का विधान है. इस बार यह एकादशी 29 मई शुक्रवार को है. निर्जला एकादशी का व्रत विधान इस प्रकार है –
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सर्वप्रथम शेषशायी भगवान विष्णु की पंचोपचार से पूजा करें. तत्पश्चात मन को शांत रखते हुए ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें. शाम को पुन: भगवान की पूजा करें व रात में भजन कीर्तन करते हुए धरती पर विश्रम करें. दूसरे दिन किसी योग्य ब्राह्मण को आमंत्रित कर उसे भोजन कराएं तथा जल से भरे कलश को सफेद वस्त्र ढक कर और उस पर शर्करा (शक्कर) तथा दक्षिणा रख कर ब्राह्मण को दान दें. इसके अलावा यथाशक्ति अन्न, वस्त्र, आसन, जूता, छतरी, पंखा तथा फल आदि का दान करना चाहिए. इसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए.
धर्मग्रंथों के अनुसार इस दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करनेवालों को वर्षभर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है. इस एकादशी का व्रत करने से अन्य 23 एकादशियों पर अन्न खाने का दोष दूर हो जाता है तथा संपूर्ण एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिल जाता है –
एवं य: कुरु ते पूर्णा द्वादशीं पापनासिनीम् .
सर्वपापविनिर्मुक्त: पदं गच्छन्त्यनामयं॥
इस प्रकार जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement